मुजफ्फरनगर। अलग राज्य की मांग को लेकर दिल्ली जा रहे उत्तराखंड के आंदोलनकारियों पर लाठीचार्ज व फायरिंग के मामले में छेड़छाड़ लूट और गैंगरेप के मामले में रामपुर तिराहा कांड में आरोपी पीएसी के सिपाही मिलाप सिंह और वीरेंद्र प्रताप को कोर्ट ने दोषी करार दिया है।

बता दें कि अक्टूबर 1994 को रात के समय दिल्ली जाते राज्य आंदोलनकारियों के साथ हुए कथित अत्याचार का गवाह रामपुर तिराहा बना हुआ है। यहां आंदोलनकारियों का शहीद स्मारक भी है। पत्रावली में पीएसी के सिपाही मिलाप सिंह और वीरेंद्र प्रताप पर मुकदमा चल रहा था। दोनों अभियुक्तों पर पीड़िता के साथ छेड़छाड़ और दुष्कर्म का मुकदमा है।

25 जनवरी 1995 को सीबीआई ने पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमें दर्ज किए थे। तीस बाद इस मामले में फैसला सुनाया गया। पीठासीन अधिकारी शक्ति सिंह चर्चित रामपुर कांड में ipc 376, 354, 509 में दो अभियुक्तों को दोषी ठहराया। पीएसी 41 वीं वाहिनी में गाजियाबाद में सिपाही मिलाप सिंह मूल रूप एटा के निधौली कलां थाना क्षेत्र के होर्ची गांव का रहने वाला है। दूसरा आरोपी सिपाही वीरेंद्र प्रताप मूल रूप सिद्धार्थनगर के गांव गौरी का रहने वाला है । दोनो दस साल पहले रिटायर हो चुके हैं। आरोपियों को सजा 18 मार्च को सुनाई जाएगी।