प्रयागराज। उमेश पाल की हत्या की साजिश आईफोन के फेसटाइम फीचर पर रची गई। पुलिस की नजर से बचने के लिए गुजरात की साबरमती जेल से अतीक अहमद और बरेली जेल में बंद उसका भाई अशरफ ने आईफोन के खास फीचर फेसटाइम पर संपर्क में थे।
अशरफ का साला सद्दाम इशारा मिलने पर बरेली जेल जाकर उसकी अतीक से बात कराता था। सद्दाम की गतिविधियों पर एसटीएफ की नजर थी, लेकिन फेसटाइम के कारण उनके असली मंसूबे का पता नहीं चल सका। वारदात करने वाले शूटरों से अतीक ने फेसटाइम पर ही बात भी की थी।
एसटीएफ सूत्रों की मानें तो अतीक व अशरफ के बीच बातचीत कई महीनों से जारी थी। दोनों जेल में मोबाइल का लगातार इस्तेमाल कर रहे थे। अतीक और अशरफ की बातचीत एसटीएफ लगातार सुन रही थी। अधिकतर बातचीत प्रयागराज में जमीनों के सौदे और मुकदमों की पैरवी को लेकर होती थी। कुछ जमीनों में उमेश पाल के बढ़ते दखल पर अशरफ अतीक से लगातार हिसाब चुकता करने को कह रहा था। अतीक कुछ मध्यस्थों के जरिए मामला सुलझाने की बात कहता था। दो माह पूर्व दोनों अचानक आईफोन पर फेसटाइम के जरिये संपर्क में आ गए, जिससे उनकी साजिश का पता नहीं चल सका।
उधर, साबरमती जेल में अतीक को शुरुआती दिनों में कुछ दिक्कतें हुई, लेकिन उसने सुविधाएं पाने के लिए लाखों रुपये पानी की तरह बहाए। इसके बाद उसकी जेल में खातिरदारी होने लगी। इसका फायदा उठाकर उसने गिरोह फिर से संगठित कर लिया। अपने भाई और दोनों बेटों का उसने बेहद आसानी से सरेंडर करा दिया। इसी तरह अशरफ ने भी बरेली सेंट्रल जेल में अधिकारियों को लाखों रुपये देकर सुविधाएं हासिल कीं।
अतीक का बेटा असद अधिकतर लखनऊ के फ्लैट में ही रहता था। वारदात से दो दिन पहले वह फॉर्च्यूनर गाड़ी से प्रयागराज गया। अशरफ ने उसे हिदायत दी थी कि वह वारदात के दौरान किसी भी सूरत में गाड़ी से बाहर नहीं निकलेगा और केवल वीडियो बनाएगा। इसके बावजूद असद ने गाड़ी से बाहर निकलकर उमेश पाल पर फायरिंग की। इसके बाद वह फॉर्च्यूनर से फरार हो गया। एसटीएफ गाड़ी में असद के एक दोस्त की मौजूदगी की पुष्टि करने में जुटी है।