मुजफ्फरनगर: पहले मोरना और परिसीमन के बाद मीरापुर के नाम से जाने जाने वाली क्षेत्र की विधानसभा सीट अपने विधायकों को सांसदी का आशीर्वाद भी देती रही है। क्षेत्र से लोगों ने ऐसे छह नेताओं को विधायक बनाया जिन्हें बाद में संसद में जाने का आशीर्वाद मिला।
उत्तर प्रदेश की मुजफ्फरनगर की मीरापुर विधानसभा मोरना सीट परिसीमन के बाद 2012 में वजूद में आई थी। इससे पहले इसके अधिकतम क्षेत्र को मोरना विधानसभा सीट के नाम से जाना जाता था।
2022 विधानसभा चुनाव में मीरापुर सीट से चंदन चौहान जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। लेकिन 2024 लोकसभा चुनाव में उन्होंने बिजनौर से चुनाव लड़ा। मीरापुर विधानसभा बिजनौर लोकसभा क्षेत्र में ही आती है। जनता के आशीर्वाद से चंदन चौहान लोकसभा चुनाव जीतकर संसद पहुंचे।
उनके त्यागपत्र से रिक्त हुई मीरापुर सीट पर मौजूदा उपचुनाव हो रहा है। 2007 में मोरना यानी वर्तमान की मीरापुर सीट से चुनाव जीतकर कादिर राना विधानसभा पहुंचे थे। 2009 लोकसभा चुनाव में उन्होंने मुजफ्फरनगर से भाग्य आजमाया और जनता के आशीर्वाद से वह भी संसद पहुंच गए।
1996 में सपा के टिकट पर गुर्जर नेता संजय चौहान ने मोरना सीट से जीत हासिल की थी। उन्होंने 2009 का लोकसभा चुनाव बिजनौर सीट से लड़ा था। चुनाव जीत कर उन्होंने भी संसद में जनता का प्रतिनिधित्व किया।
वर्ष 1985 में कांग्रेस के टिकट पर मोरना सीट से सईदुज़्ज़मा चुनाव जीते थे। इसके बाद वर्ष 1999 में मुजफ्फरनगर लोकसभा क्षेत्र की जनता ने उन्हें अपने आशीर्वाद से नवाज़ा और वह भी सांसद बने। अमीर आलम खान 1989 में मोरना सीट से विधायक बने थे। वह भी बाद में कैराना सीट से चुनाव जीत कर संसद पहुंचे। जबकि वर्ष 2002 में बसपा के टिकट पर राजपाल सैनी मोरना से विधायक बने। बाद में उन्हें राज्यसभा भेजा गया।
बिजनौर की सीमा से सटे मीरापुर क्षेत्र में शुकतीर्थ, पंचमुखी मंदिर संभावहेड़ा, शीतला माता मंदिर, सहित मुस्लिम समाज के कई बड़े मदरसे हैं।