मुजफ्फरनगर. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव जीतने के लिए नेताओं की अलग-अलग संगठनों के साथ बातचीत और मुलाकात का दौर जारी है. इस बीच केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान अचानक से आज मुजफ्फरनगर के सिसौली गांव भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत से मुलाकात करने पहुंचे गए. इस दौरान केंद्रीय मंत्री ने उनके स्वास्थ्य की जानकारी ली. वहीं, इस मुलाकात के सियासी मायने भी ढूंढे जा रहे हैं, क्योंकि 2 दिन पूर्व भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने बातों ही बातों में रालोद-सपा गठबंधन को समर्थन देने का ऐलान कर दिया था. यही नहीं, राजनीतिक गलियारों में उनका यह बयान खास चर्चा में रहा था.

यही नहीं, नरेश टिकैत के इस बयान के बाद सपा के दिग्गज नेताओं ने ट्वीट कर समर्थन करने का धन्यवाद भी दिया था. हालांकि उसके बाद उन्‍होंने अपने बयान से यू टर्न ले लिया. वहीं, आज जब अचानक केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान सिसौली पहुंचे और नरेश टिकैत से मुलाकात की तो सियासी हलचल पैदा हो गयी है.

नरेश टिकैत ने कही ये बात
बालियान से मुलाकात के बाद भाकियू अध्यक्ष नरेश टिकैत ने कहा कि वह उनका स्वास्थ्य का पता लेने के लिए आए थे. वहीं, उन्होंने गठबंधन के समर्थन मामले को लेकर कहा कि गठबंधन को समर्थन नहीं आशीर्वाद कहा जा सकता है, क्योंकि पहले से ही जो कोई सिसौली आता है उसे आशीर्वाद दिया जाता रहा है. समर्थन के बारे में कुछ ज्यादा कहने का अधिकार मुझे नहीं है, क्‍योंकि संयुक्त रूप से किसान संगठन इसका फैसला लेगा. उन्‍होंने कहा कि आज मुलाकात के दौरान संजीव बालियान से केवल पारिवारिक बात हुई, चुनाव पर कोई चर्चा नहीं हुई.

नरेश टिकैत के बयान के बाद बदला माहौल
बता दें कि जब से नरेश टिकैत ने गठबंधन को समर्थन देने का बयान जारी किया है, तभी से लगातार टिकैत बंधुओं में दो राय स्पष्ट देखी जा रही हैं. एक तरफ पहले भाकियू के अध्यक्ष नरेश टिकैत ने गठबंधन प्रत्याशियों को समर्थन करने की बात कही थी, तो वहीं राकेश टिकैत ने किसी पार्टी को समर्थन ना देने की बात कही है. हालांकि इसके बाद भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने भी सपा और आरएलडी गठबंधन को समर्थन देने वाले बयान से यूटर्न ले लिया है. वैसे उन्‍होंने सफाई देते हुए कहा कि इसे समर्थन नहीं आशीर्वाद कहा जा सकता है.

दरअसल आपको बता दें कि नरेश टिकैत सरल स्वभाव के व्यक्ति हैं, जो कुछ भी बयान देने से पहले उसके दूर तक के राजनीतिक मायने नहीं सोचते हैं बल्कि बेबाकी से अपनी बात रखते हैं. हालांकि उनके द्वारा कही गईं बातें और घोषणाएं भाकियू के लिए चर्चा का विषय जरूर बन जाती हैं और फिर उनको अपने बयानों से पलटना भी पड़ता है.