मुजफ्फरनगर। मंत्री अनिल कुमार दलित राजनीति के सबसे बड़े खिलाड़ी बन गए हैं। वहीं, एनडीए ने उनके सहारे पश्चिमी यूपी में बड़ा दांव चल दिया है।
मंत्री बनाए गए अनिल कुमार अनुसूचित जाति की राजनीति में सबसे बड़े खिलाड़ी साबित हुए। कैबिनेट में पहुंचने वाले वह पहले विधायक हैं। उनसे पहले उमा किरण, डॉ. यशवंत सिंह और दीपक कुमार राज्यमंत्री रहे हैं। लोकसभा चुनाव में पश्चिम यूपी के दलित मतों में सेंधमारी के लिए उन पर एनडीए ने दांव चला है।
देश-प्रदेश की सियासत में खास पहचान रखने वाले मुजफ्फरनगर में अनुसूचित जाति के लिए जानसठ और चरथावल सीट आरक्षित रही। वर्ष 2012 में हुए परिसीमन के बाद जानसठ सीट का आधा हिस्सा मीरापुर और आधा खतौली में समाहित कर दिया गया। चरथावल से आरक्षण का दर्जा पुरकाजी सीट को दिया गया। अनुसूचित जाति की राजनीति का केंद्र पुरकाजी बन गया। वहीं, अनिल कुमार ने पूर्व मंत्री उमा किरण के साथ रहकर राजनीति शुरू की और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा।
वर्ष 2007 में चरथावल सुरक्षित सीट से बसपा के टिकट पर अनिल कुमार ने 35417 वोट हासिल कर भाजपा के रामपाल सिंह को 1873 मतों से हरा दिया था। दिलचस्प बात यह रही कि तत्कालीन मंत्री उमा किरण सिर्फ 15425 वोट हासिल कर तीसरे स्थान पर रही थीं।
वर्ष 2012 में परिसीमन के बाद सुरक्षित सीट पुरकाजी बनाई गई। बसपा के टिकट पर अनिल कुमार ने 53491 वोट हासिल किए और कांग्रेस के पूर्व मंत्री दीपक कुमार को 8908 मतों से हराया। सपा प्रत्याशी उमा किरण तीसरे और भाजपा प्रत्याशी साध्वी प्राची आर्या चौथे स्थान पर रही थीं।
मुजफ्फरनगर दंगे के बाद साल 2017 में भाजपा की लहर में हुए चुनाव में तीसरी बार बसपा के टिकट पर ही अनिल मैदान में उतरे, लेकिन भाजपा के प्रमोद ऊटवाल के सामने हार गए थे। दूसरे स्थान पर कांग्रेस के पूर्व मंत्री दीपक कुमार और तीसरे स्थान पर अनिल कुमार रहे थे। पूर्व मंत्री उमा किरण की जमानत जब्त हो गई थी।
वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले अनिल कुमार सपा में शामिल हुए। गठबंधन में पुरकाजी सुरक्षित सीट रालोद के हिस्से में चली गई, जिसके चलते वह रालोद के सिंबल पर चुनाव लड़े और भाजपा के प्रमोद ऊटवाल को हरा दिया।
जिले की राजनीति में अनुसूचित जाति के कई नाम चमके। कांग्रेस से पूर्व मंत्री दीपक कुमार, पूर्व मंत्री उमा किरण के बाद अब पुरकाजी विधायक अनिल कुमार को ही मंत्री बनाया गया है। कैबिनेट में पहुंचने वाले वह पहले विधायक हैं।
मुजफ्फरनगर जिले में पहले अनुसूचित जाति के लिए चरथावल और जानसठ सीट सुरक्षित थी। भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह ने जिले में नए-नए चेहरों को टिकट दिया। वर्ष 1969 में बीकेडी से जानसठ में मनफूल सिंह, चरथावल से नैन सिंह विधायक बने थे। 1974 और 1977 में जानसठ से कबूल सिंह, चरथावल से नंदराम, 1989 में जनता दल के टिकट पर जानसठ से महावीर आजाद, चरथावल से डॉ. जीएस विनोद, 1991 में चरथावल से जीएस विनोद, 1996 में जानसठ से बिजेंद्र आर्य, 2002 में रालोद के टिकट पर जानसठ से डॉ. यशवंत सिंह और फिर 2022 में रालोद के टिकट पर पुरकाजी सुरक्षित सीट से अनिल कुमार विधायक चुने गए हैं।