कांग्रेस की कोशिश उत्तराखंड, गोवा में सरकार बनाने और पंजाब में अपनी सरकार दोबारा लाने की है, उत्तर प्रदेश में भी पार्टी यह अवसर देख रही है कि वह अपनी पिछली सात सीटों को कम से कम सत्तर या उससे ज्यादा तक पहुंचा सके तो प्रदेश में भविष्य में उसकी वापसी की उम्मीद बन सके और 2024 के लोकसभा चुनावों में पार्टी अपने बलबूते कुछ सीटें जीत सके।

वहीं समाजवादी पार्टी भी उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में वापसी की राह देख रही है। सपा अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को लगता है कि भाजपा का मुकाबला सीधा सपा-रालोद गठबंधन से होगा, जिसमें कोरोना से हुई तबाही की नाराजगी का लाभ सपा को ही मिलेगा। क्योंकि बसपा और कांग्रेस, सपा के मुकाबले भाजपा को चुनौती देने की स्थिति में नहीं हैं।

पहले बात भाजपा की। भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को पश्चिम बंगाल की हार के बाद उत्तर प्रदेश की सर्वाधिक चिंता है। हाल ही में उत्तर प्रदेश को लेकर भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले की एक बैठक हुई और इसके बाद नड्डा और शाह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ देर रात तक बैठक की। बैठक में प्रदेश संगठन में फेरबदल करने और राज्य की नौकरशाही के साथ तालमेल बढ़ाने के लिए विधान परिषद सदस्य अरविंद शर्मा को मंत्रिमंडल में लेकर उन्हें बड़ी जिम्मेदारी देने पर भी सहमति बनी। शर्मा ने जिस तरह प्रधानमंत्री के लोकसभा क्षेत्र वाराणसी में कोरोना संकट को नियंत्रित किया है, उसे लेकर भी केंद्रीय नेतृत्व उनका उपयोग अब राज्य स्तर पर करना चाहता है। यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के लिए आने वाले दिनों में ये बडे बदलाव कर सकती है भाजपा। नीचे क्लिक कर अगले पेज पर जाएं ओर पढें पूरी खबर