इधर कांग्रेस में भी खासी हलचल है। पश्चिम बंगाल में सफाए और असम, केरल और पुद्दुचेरी में हार से पार्टी नेतृत्व बेहद असहज है। क्योंकि केरल से खुद राहुल गांधी सासंद हैं और उन्होंने प्रियंका गांधी के साथ केरल, असम और तमिलनाडु चुनावों में खासी मेहनत की थी। अब क्योंकि प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश की प्रभारी महासचिव हैं और उनके ऊपर ही राज्य में पार्टी को चुनाव लड़ाने की जिम्मेदारी है, इसलिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी विशेषरूप से चिंतित हैं।

अगर उत्तर प्रदेश में कांग्रेस कुछ बेहतर नहीं कर पाई तो उसका सीधा असर प्रियंका की छवि और लोकप्रियता पर पड़ेगा। राज्य में अब तक हुए विधानसभा उपचुनावों और पंचायत चुनावों के नतीजों ने यह साबित कर दिया है कि मौजूदा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू मेहनती और संघर्षशील कार्यकर्ता होने के बावजूद पूरे प्रदेश में पार्टी का चेहरा नहीं बन सके हैं। उनकी संगठन पर वैसी पकड़ भी नहीं है जैसी कि पूर्व प्रदेश अध्यक्ष निर्मल खत्री, सलमान खुर्शीद और राजबब्बर की थी।

प्रियंका गांधी को लगातार यह फीडबैक भी मिल रहा है कि अगर पार्टी अजय लल्लू के नेतृत्व में चुनाव में गई तो मौजूदा सात सीटें भी बचेंगी या नहीं यह कहना मुश्किल है, क्योंकि तब मुकाबला सीधा भाजपा बनाम सपा-रालोद गठबंधन के बीच हो जाएगा। इसे लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी तीनों ही चिंतित हैं। इसलिए एक सुझाव जल्दी से जल्दी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को बदलने का भी है। क्या यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में सपा से समझौता करेगी कांग्रेस? जयंत चौधरी को गठबंधन में कैसे मिल सकती हैं 100 सीटें? जानने के लिए नीचे क्लिक कर अगले पेज पर जाएं