वाराणसी. शक्ति उपासना के पर्व नवरात्रि की शुरुआत होने वाली है. हिंदू पंचाग के अनुसार, साल में कुल चार नवरात्रि होती हैं. इसमें चैत्र और शारदीय के साथ दो गुप्त नवरात्रि होती हैं. अश्विन मास में पढ़ने वाली नवरात्रि को शारदीय नवरात्र कहते हैं. इस पर्व में नौ दिनों में देवी के अलग अलग स्वरूप के पूजन का विधान है. ऐसी मान्यता है कि नवरात्र के नौ दिनों में देवी के उपासना से शत्रुओं का नाश होता है. इसके अलावा घर में सुख,शांति और समृद्धि बनी रहती है.
काशी के विद्वान और ज्योतिषाचार्य स्वामी कन्हैया महाराज ने बताया कि अश्विन मास के प्रतिपदा तिथि से इसकी शुरुआत होती है, जोकि नवमी तिथि तक चलता है. इस बार नवरात्रि की शुरुआत 15 अक्टूबर 2023 से हो रही है और इसका समापन 24 अक्टूबर को दशहरा के दिन होगा. खास बात ये है कि इस बार नवरात्रि पूरे नौ दिन की है. इस बार 22 अक्टूबर को महाष्टमी और 29 अक्टूबर को नवमी है.
स्वामी कन्हैया महाराज के मुताबिक, नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना का विधान है. हिंदू पंचाग के अनुसार, 15 अक्टूबर को सुबह 11 बजकर 40 मिनट से लेकर 12 बजकर 42 मिनट का समय कलश स्थापना के लिए बेहद शुभ है. इस दौरान घर में देवी के आराधना के साथ पूरे श्रद्धाभाव और पवित्रता के साथ पूजा के स्थान पर मिट्टी का कलश स्थापना करके उस पर अखंड दीप जलाना चाहिए.
ज्योतिषाचार्य स्वामी कन्हैया महाराज ने बताया कि कलश स्थापना के लिए मिट्टी का घड़ा, गंगा जल, सात तरह का अनाज, जटा वाला नारियल, लाल फूल, सुपारी, अक्षत, लाल वस्त्र और आम का पत्ते होना जरूरी है. (नोट:यह खबर धार्मिक मान्यताओं और ज्योतिषशास्त्र पर आधारित है.News 18 इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता हैं.)