मुजफ्फरनगर। एक सप्ताह से एनसीआर को लेकर बनी असमंजस की स्थिति साफ हो गई है। मुजफ्फरनगर एनसीआर में ही शामिल रहेगा। इससे जिले की जनता को रेपिड ट्रेन का तोहफा समय पर ही मिलेगा। राजघाट को केंद्र मानकर 100 किमी दायरे को एनसीआर में शामिल किया गया है। जिले के केवल तीन ब्लॉक एनसीआर क्षेत्र से बाहर रहेंगे।
एनसीआर में जिले के शामिल होने को लेकर ऊहा-पोह की स्थिति अब समाप्त हो गई है। एनसीआर में अब जिले की जगह ब्लॉक को इकाई माना गया है। दिल्ली का राजघाट एनसीआर का सेंटर माना गया है और इसके 100 किमी का चारों तरफ का क्षेत्र इसमें शामिल रहेगा। राजघाट से मुजफ्फरनगर 99 किमी है जो अपने आप एनसीआर में आ गया है। जिला मुख्यालय का नोटिफाइड एरिया एनसीआर का पार्ट होगा। नेशनल हाइवे और स्टेट हाइवे के दोनो ओर एक किमी के क्षेत्र पर एनसीआर के नियम लागू होंगे। एनसीआर में ब्लाक को इकाई माना गया है। इसके चलते जिले के केवल तीन ब्लाक ऐसे हैं जो एनसीआर में नहीं आ रहे हैं। इनमें पुरकाजी, मोरना और चरथावल हैं। यदि प्रदेश सरकार सहमति देगी तो ये ब्लाक भी शामिल हो सकते हैं। केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ संजीव बालियान ने बताया कि एनसीआर को लेकर उन्होंने अफसरों के साथ बैठक की है और पूरा अध्ययन किया है। मुजफ्फरनगर जिला एनसीआर का हिस्सा था और इस समय भी एनसीआर का हिस्सा है। (संवाद)
मुजफ्फरनगर के एनसीआर में बने रहने से सबसे बड़ा लाभ रेपिड ट्रेन का होगा। केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ संजीव बालियान ने इस योजना की स्वीकृति दिलाई है। इसके अलावा एनसीआर में आने वाली कोई भी निकाय अपने विकास के लिए पैसा ले सकती है। यह पैसा बाद में एनसीआर को वापिस करना होता है। हरियाणा के अधिकतम शहरों का विकास एनसीआर से लिए गए पैसे से ही हुआ है।
जिले के एनसीआर में शामिल रहने से यहां के उद्यमियों को तनाव है। सभी उद्योग एनजीटी के दायरे में आते हैं। एनजीटी के नियमों का पालन करना होता है। वाहनों को लेकर एनसीआर के नियमों का पालन करना होता है। डीजल के वाहन 10 साल और पेट्रोल के वाहन 15 साल ही चलाने की अनुमति है। जिले में सबसे ज्यादा विरोध किसानों के ट्रैक्टरों को लेकर है।
एनसीआर में शामिल होने को लेकर भ्रम नहीं
केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ संजीव बालियान ने कहा कि मुजफ्फरनगर को एनसीआर में शामिल करने को लेकर कोई भ्रम नहीं है। उन्होंने इस संबंध में सभी पहलुओं पर छानबीन कर ली है। जिला मुख्यालय एनसीआर में ही रहेगा।