काठमांडू. नेपाल विमान हादसा हवाई दुर्घटनाओं को लेकर नींद खोलने वाला है.पोखरा इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर लैंडिंग के ठीक पहले प्लेन क्रैश हो गया. लेकिन प्लेन क्रैश के साथ सोशल मीडिया पर एक सवाल फिर उठ रहा है कि आखिर एयरोप्लेन में पैराशूट क्यों नहीं होता, ताकि विमान गिरने की आशंका होते ही हर व्यक्ति पैराशूट लेकर सुरक्षित कूदकर अपनी जान बचा सके. उधर, 72 लोगों की जान लेने वाले येति एयरलाइंस के दुर्घटनाग्रस्त विमान का फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर यानी ब्लैकबॉक्स मिल गया है.

फ्लाइट एक्सपर्ट एजेंसी की मानें तो यात्री विमानों में पैसेंजर क्या पायलट के लिए भी पैराशूट नहीं होते हैं.ऐसा पायलट के लिए होता तो संभवत: इमरजेंसी की स्थिति में पायलट सभी यात्रियों को बचाने के लिए पहले ही कूद जाएगा.एक्सपर्ट का यह भी कहना है कि पैराशूट इस्तेमाल करना भी इतना सामान्य काम नहीं है कि बस उसे लेकर कूदकर जान बचाई जा सके. इसकी खास ट्रेनिंग लेनी पड़ती है.

एयरोप्लेन में पैराशूट तो नहीं होता है, लेकिन हर सीट के नीचे एक सिक्योरिटी लाइफ जैकेट जरूर होता है. यह पानी में विमान गिरने के दौरान अपनेआप हवा से भर जाता है और यात्री को डूबने से बचा सकता है. पायलट इमरजेंसी लैंडिंग के लिए नदी या समुद्र में विमान को उतारने की कोशिश भी इसीलिए करते हैं, ताकि कम से कम झटका लगे. साथ ही पानी में डूबने से बचाने वाला लाइफ जैकेट भी हवाई यात्री के लिए रहता है.

फ्लाइट डेटा एजेंसियों के मुताबिक, विमान में सामान्यतया 200 के करीब यात्रियों को रखा जाता है. सामान्यतया यात्री विमान में 8 दरवाजे होते हैं. 2 आगे- 4 पंखों के पास और 2 विमान के पीछे होते हैं. प्लेन में हवाईयात्रियों की संख्या कम होने पर उन्हें आगे पीछे करके बैठाया जाता है. एयरहोस्टेस हवाईयात्रियों को विमान में संतुलन के हिसाब से बैठाती है.

ऐसे में सोचा भी जाए तो विमान में प्रत्येक हवाईयात्री के पास अपना पैराशूट हो.प्लेन में आग लगे, धुआं भर जाए या वो जमीन की ओर गोता लगाने लगे तो सिर्फ 8 दरवाजों से 200 यात्रियों को हवा में बाहर निकालने में क्या स्थिति होगी.

विमान का संतुलन बिगड़ सकता है, यात्रियों के बीच अफरातफरी से इमरजेंसी लैंडिंग का प्लान फेल हो सकता है. विमान 35 हजार या 40 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ान भरता है. जबकि पैराशूट का इस्तेमाल करने के लिए प्लेन को 10 हजार फीट की ऊंचाई तक लाना आवश्यक है. इससे ऊपर यात्री हवा में सांस नहीं के जिंदा नहीं रह पाएंगे. अगर हवाई यात्रियों में बाहर कूदने की होड़ रहेगी तो विमान का संतुलन बिगड़ सकता है. विमान बिना वजह ही जमीन पर गिरकर हादसे का शिकार हो सकता है. सबसे बड़ा सवाल है कि ये फैसला कौन करेगा कि कब यात्री पैराशूट का इस्तेमाल कर सकते हैं कब नहीं .

यात्री क्या हवाई यात्रा के दौरान अपना पैराशूट ले जा सकते हैं, तो इसका जवाब हां है. इसे साथ लेकर या बैगेज में भी ले जा सकते हैं. लेकिन इसे अलग पैक करके रखना होगा और कभी भी जांच के लिए आपको तैयार रहना होगा.