जब बात धार्मिक आस्था की हो तो उसपर सवाल नहीं खड़े करने चाहिए क्योंकि वो लोगों की परंपराओं से जुड़े होते हैं. दुनिया में बहुत सी चीजें सही गलत के दायरे में आती हैं पर आस्था को इस दायरे में लाना ठीक नहीं है क्योंकि ये लोगों की भावनाओं से जुड़ी होती हैं और भावनाएं ना ही गलत होती हैं और ना ही सही, वो इससे परे हैं. ऐसी ही एक आस्था सनातन धर्म में महिलाओं से जुड़ी है. आपने ये गौर किया होगा कि जब किसी का देहावसान हो जाता है तो उसके अंतिम संस्कार के लिए उसे शमशान घाट ले जाया जाता है. पर इस पूरी प्रक्रिया में पुरुष ही शामिल होते हैं. महिलाओं (Women in cremation ground) का शमशान घाट (Why women not allowed in Shamshan Ghat) जाना वर्जित होता है. इसके अलावा पार्थिव शरीर को सिर्फ पुरुष ही दाग देते हैं, महिलाएं (Why women can’t light pyre) नहीं देतीं. आज हम आपको इन परंपराओं का प्रमुख कारण बताने जा रहे हैं.
चूंकि ये परंपराएं काफी लंबे समय से चली आ रही हैं इसलिए इसके पीछे जो विचार था वो भी उसी समय का था. सबसे पहला कारण था कि जब मर्द शमशान घाट जाते थे तो घर की साफ-सफाई, उसकी देखभाल करने की जिम्मेदारी किसी को निभानी पड़ती थी, और पुराने समय में महिलाएं ही सिर्फ घर का काम किया करती थीं तो ये काम भी उन्हें ही करना पड़ता था.
शमशान घाट का दृश्य कई बार भायनक हो सकता है. अपनों को चिता पर जलते देखना, फिर अस्थियों को लकड़ी से तोड़ते देखना काफी बुरा अनुभव हो सकता है. पहले ये माना जाता था कि महिलाएं कमजोर दिल की होती हैं, वो ऐसे दृश्य देखेंगी तो उनके दिल और दिमाग पर बुरा असर पड़ेगा. यह भी एक वजह है कि उन्हें शमशान घाट नहीं ले जाया जाता था.
पुराने वक्त में ये भी माना जाता था कि महिलाओं के लंबे बाल शमशान घाट में मौजूद नकारात्मकता, या बुरे साए को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. भूत-प्रेत जल्द ही खुले या लंबे बालों की ओर आकर्षित हो जाते हैं उसके जरिए इंसान में प्रवेश कर जाते हैं. इस कारण से भी महिलाओं को शमशान घाट से दूर रखा जाता था.
जब लंबे बाल और बुरे साए की बात हो ही रही है तो इससे जुड़ा एक कारण ये भी है कि विवाहित औरतों को शुद्ध नहीं माना जाता था, इस वजह से वो शमशान घाट नहीं जाती थीं, और अविवाहित औरतों को लिए मानते थे कि वो पवित्र होती थीं तो ऐसे शरीर पर भूत-प्रेत जल्दी हमला कर देंगे.
हमने ऊपर बताया कि ये मान्यता है कि बालों के जरिए बुरी शक्तियां इंसान के शरीर में प्रवेश करती हैं, इस कारण से खुद को शुद्ध करने के लिए पुरुष अपना मुंडन करवा लेते थे, पर महिलाएं ऐसा नहीं कर सकती थीं, इसलिए उन्हें शमशान नहीं जाने दिया जाता था.
महिलाएं क्यों नहीं देतीं दाग- अब इस सवाल का भी जवाब दे देते हैं कि महिलाएं दाग क्यों नहीं देतीं. पहली वजह तो यही है कि जब उनका शमशान घाट जाना वर्जित है तो वो दाग भी नहीं दे पाएंगी. वर्जित क्यों है, इसके कारण हमने ऊपर आपको बता दिए. इसके अलावा पुराने वक्त में बेटा होना किसी भी दंपत्ति के लिए जरूरी माना जाता था क्योंकि बेटा होने से ही माता-पिता को मोक्ष की प्राप्ति होती थी. जीवन और मरण के चक्र से मुक्त होने को ही मोक्ष कहा गया है. ऐसे में अगर बेटे की जगह बेटी या कोई महिला दाग देती है तो मृतआत्मा को मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती है