नई दिल्‍ली. सरकार ने बीते वित्‍तवर्ष यानी 2021-22 के लिए पीएफ खाते पर 8.10 फीसदी ब्‍याज देना तर कर दिया है. वैसे तो इस पर फैसला मार्च में ही हो गया था और तभी से देश के करीब 7 करोड़ पीएफ खाता धारकों को अपने ब्‍याज का इंतजार है. चालू वित्‍तवर्ष की शुरुआत में ही इस पर फैसला होने के बावजूद साल खत्‍म होने तक भी आपके खाते में ब्‍याज का पैसा नहीं पहुंचा है. इस पर एक्‍सपर्ट से पूछने पर कई तथ्‍य सामने आए.

निवेश सलाहकार बलवंत जैन का कहना है कि होना तो यह चाहिए कि जैसे बैंक आपकी एफडी पर हर वित्‍तवर्ष की समाप्ति पर ब्‍याज का पैसा डाल देते हैं, उसी तरह पीएफ खाते में भी ब्‍याज आ जाना चाहिए. लेकिन तमाम नियामकीय मंजूरियों और फंड जारी होने में देरी की वजह से करोड़ों खाताधारकों को इसका इंतजार करना पड़ता है. ईपीएफओ ट्रस्‍ट की ओर से ब्‍याज दरें तय किए जाने के बाद इसकी सिफारिश वित्‍त मंत्रालय को भेजी जाती है और वहां से मंजूरी मिलने के बाद फंड जुटाने की कवायद शुरू होती है.

वित्‍त मंत्रलाय ने पिछले महीने कहा था कि वित्‍तवर्ष 2022 के लिए पीएफ ब्‍याज का पैसा आने में देरी इसलिए हो रही है, क्‍योंकि अभी सॉफ्टवेयर अपडेट का काम चल रहा है. बजट में पीएफ पर ब्‍याज को लेकर टैक्‍स के नए प्रावधान जोड़े गए हैं, इसी वजह से सॉफ्टवेयर को अपडेट करना पड़ रहा है. हालांकि, तब सरकार ने यह भी कहा था कि जल्‍द ही खाताधारकों को पीएफ खाते में ब्‍याज का पैसा मिलने लगेगा. फिलहाल ब्‍याज का इंतजार जारी है.

वित्‍त मंत्रालय ने यह भी कहा था कि पीएफ खाते में ब्‍याज का पैसा आने में देरी होने से ग्राहकों को कोई नुकसान नहीं होगा. हालांकि, इस बारे में एक्‍सपर्ट की राय कुछ अलग ही है. उनका कहना है कि ईपीएफ एक्‍ट 1952 के तहत खाताधारकों को पीएफ का पैसा हर महीने के आखिर में मिल जाना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं होता है तो उन्‍हें कई तरह से नुकसान उठाना पड़ सकता है.

बलवंत जैन का कहना है कि वैसे तो पीएफ के ब्‍याज पर कंपाउंडिंग का लाभ नहीं दिया जाता और सरकार जब भी इसका ब्‍याज भुगतान करती है तो उसकी गणना हर वित्‍तवर्ष में 1 अप्रैल से ही की जाती है. यानी सीधे तौर पर खाताधार को कोई नुकसान नहीं होता, लेकिन अगर ब्‍याज आने से पहले ही किसी खाताधारक ने अपना सेटलमेंट करा लिया तो उसे नुकसान उठाना पड़ सकता है. ऐसे में सरकार उसे पुराने ब्‍याज पर ही सेटलमेंट करेगी, जबकि सेटलमेंट के बाद खाता बंद होने से उसे भविष्‍य में होने वाले ब्‍याज का नुकसान हो सकता है.