नई दिल्ली. दुनियाभर के ज्यादातर हेल्थ एक्सपर्ट एक हेल्दी एडल्ट को एक दिन में कम से कम 8 घंटे की नींद लेनी चाहिए, इससे हमें काफी सुकून मिलता है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर एक दिन का चौथाई हिस्सा सोने में क्यों गुजार देते हैं? दरअसल अच्छी सेहत के लिए नींद जरूरी है. वास्तव में, हमें जिंदा रहने के लिए नींद की आवश्यकता होती है. ठीक वैसे ही जैसे कि भोजन और पानी हमारे लिए जरूरी है. आइए जानते हैं कि इसका हमारी सेहत से क्या कनेक्शन है.

जब हम नींद लेते हैं तब हमारा ब्रेन नई जानकारियों को जमा करता है और टॉक्सिक सोच से छुटकारा पाता है. हमारे नर्व सेल्स कॉम्यूनिकेशन और रिऑर्गेनाइजेशन का काम करते हैं. इस दौरान हमारा शरीर कोशिकाओं की मरम्मत करता है, एनर्जी को रिस्टोर करता है, और हार्मोन और प्रोटीन जैसे मॉलिक्यूल्स को छोड़ता है. ये सभी प्रॉसेस हमारे ओवरऑल हेल्थ के लिए बेहद जरूरी है.

हमारे लिए सोना क्यों जरूरी है?
नींद लेने की कई वजहों के बारे में हम अभी अंजान है, हालांकि बायोलॉजिक कारणों से इसकी अहमियत को समझा जा सकता है. आइए इन पर नजर डालते हैं.

अगर हमें अपने शरीर में एनर्जी को बरकरार रखना है तो इसके लिए हमें नींद की जरूरत होती है. नींद हमारी कैलोरी की जरूरत को कम कर देता है. रिसर्च के मुताबिक नींद हमारी रोजाना की ऊर्जा की जरूरत को करीब 35 फीसदी कम कर देता है.

रिस्टोरेशन थ्योरी में मुताबिक हमारे शरीर को खुद को रिस्टोर करने के लिए नींद की जरूरत होती है. नींद हमारे कोशिकाओं को मरम्मत और फिर से विकसित करने का मौका देता है. नींद के दौरान मांसपेशियों की मरम्मत, प्रोटीन सिंथेसिस, टिश्यू ग्रोथ और हार्मोन रिलीज का प्रॉसेस होता है.

ब्रेन प्लास्टिसिटी थ्योरी कहती है कि ब्रेन फंक्शन के लिए नींद जरूरी है, खास तौर से ये आपके न्यूरॉन्स, या नर्व सेल्स को रिऑर्गेनाइज करने में मदद करता है. जब आप सोते हैं, तो आपका ब्रेन की ग्लाइम्फेटिक (वेस्ट क्लियरेंस) यानी सेंट्रल नर्वस सिस्टम की गंदगी को साफ करता है, जो पूरे दिन जमा होते रहते हैं. जब आप जागते हैं तो ये आपके दिमाग को अच्छी तरह से काम करने में मदद करता है.

इंसुलिन एक हार्मोन है जो आपकी कोशिकाओं को ऊर्जा के लिए ग्लूकोज, या चीनी का उपयोग करने में मदद करता है, लेकिन इंसुलिन रेजिस्टेंस में, आपके सेल्स इंसुलिन को लेकर ठीक से रिस्पॉन्ड नहीं करते हैं. इससे आपका ब्लड शुगर लेवल हाई हो सकता है और टाइप 2 डायबिटीज का खतरा पैदा हो जाता है.