नई दिल्ली. डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा लगातार नीचे गिर रही है और देश के विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव बढ़ता जा रहा है. प्रतिदिन फॉरेक्स मार्केट खुलने के साथ ही रुपये में गिरावट का नया रिकॉर्ड बन जाता है. एक्सपर्ट की मानें तो आगे रुपये का रास्ता और भी ढलान की ओर जाता है.
सोमवार को मुद्रा विनिमय बाजार में डॉलर के मुकाबले रुपया 82.70 के नए रिकॉर्ड निचले स्तर पर चला गया. इसकी सबसे बड़ी वजह इमर्जिंग मार्केट में आ रही गिरावट और अमेरिकी फेडरल रिजर्व के सख्त नियमों को माना जा रहा है. आज सुबह 9 बजे के आसपास भारतीय मुद्रा अपने पिछले बंद भाव से करीब 0.47 फीसदी टूटकर ट्रेडिंग कर रही थी, जबकि इसकी शुरुआत ही रिकॉर्ड 82.72 के निचले स्तर से हुई थी.
अमेरिका में बढ़ती बॉन्ड यील्ड भारतीय मुद्रा के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है, जिसमें पिछले 8 में से 7 सत्रों में उछाल दर्ज किया गया है. फिलहाल 10 साल की बॉन्ड यील्ड 7.483 फीसदी पर है, जो पिछले बंद से 3 आधार अंक ऊपर है. गौरतलब है कि बॉन्ड यील्ड और फॉरेक्स बाजार एक-दूसरे के अपोजिट साइड में चलते हैं.
एक्सपर्ट का मानना है कि सितंबर में अमेरिकी कंपनियों ने उम्मीद से भी ज्यादा भर्तियां की हैं और बेरोजगारी दर गिरकर 3.5 फीसदी पर आ गई है. एनालिस्ट का कहना है कि अमेरिकी बेरोजगारी दर में गिरावट चौंकाने वाली है और इससे यह संकेत भी मिलते हैं कि फेडरल रिजर्व आगे भी अपनी ब्याज दरें बढ़ाने का सिलसिला जारी रखेगा. बीते शुक्रवार को अमेरिकी फेड रिजर्व के गवर्नर क्रिस्टोफर वालर और लीजा कुक ने कहा था कि महंगाई को नीचे लाने के लिए अभी ब्याज दरों में बढ़ोतरी करना जरूरी है.
कमोडिटी एक्सपर्ट अजय केडिया का कहना है कि डॉलर के मुकाबले रुपये में अभी और गिरावट आएगी. फेड रिजर्व ने 2023 में भी ब्याज दरें बढ़ाने की बात कही है, जिसका सीधा लाभ डॉलर को मिलेगा और भारतीय मुद्रा फिर दबाव में आ जाएगी. अनुमान है कि अगले कुछ सप्ताह में डॉलर के मुकाबले रुपया 83.50 के ऐतिहासिक निचले स्तर तक जा सकता है, जबकि इसमें सुधार आया तो 81.80 के आसपास ट्रेडिंग करेगा.
रुपये में गिरावट की सबसे बड़ी वजह क्रूड ऑयल की बढ़ती कीमतें होंगी, जो चालू खाते के घाटे को बढ़ाने के साथ भारतीय मुद्रा को कमजोर करेगा. एक्सपर्ट का अनुमान है कि आने वाले दिनों में कच्चे तेल की कीमतें बढ़कर 100 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकती हैं, जो रुपये पर दबाव बढ़ाएंगी. ब्रोकरेज फर्म कोटक इंस्टीट्यूट का कहना है कि एनर्जी के दाम बढ़ने और ग्लोबल इकॉनमी में स्लो डाउन आने का दबाव भी भारतीय मुद्रा पर दिखेगा. इससे अक्तूबर में ही रुपया 83.50 तक गिर सकता है.