नई दिल्ली। सर्दियों की शुरुआत के साथ ही हमारे दिनचर्या में भी कई बदलाव होने लगते हैं। सर्दियों का मौसम न सिर्फ हमारे खानपान और रहन-सहन में बदलाव लाता है, बल्कि हमारे शरीर में भी कई बदलाव देखने को मिलते हैं। इन्हीं बदलावों में से एक है हमारे मुंह में से भाप का निकलना। बचपन में लगभग सभी ने ठंडी में यह खेल खेला होगा, लेकिन क्या कभी आपने यह सोचा है कि आखिर ठंड का मौसम आते ही हमारे मुंह से अचानक भाप क्यों निकलने लगती है और गर्मी आते ही ये भाप कहां गायब हो जाती है। अगर नहीं तो आज हम आपको बताने वाले हैं इसके पीछे की वजह के बारे में-

सर्दियों के आते ही अचानक मुंह से भाप निकलने के पीछे एक वैज्ञानिक कारण है। यह तो हम सब जानते हैं कि जब भी हम सांस लेते हैं, तो ऑक्सीजन अंदर लेते हैं और कार्बन डाई-ऑक्साइड बाहर छोड़ते हैं। लेकिन जब हम सांस छोड़ते हैं तो हमारे अंदर से कार्बन डाई-ऑक्साइड के साथ नाइट्रोजन, थोड़ी ऑक्सीजन, ऑर्गन और थोड़ी नमी भी निकलती है। यही नमी जब शरीर से बाहर निकलती है तो भाप का रूप ले लेती है।

सरल शब्दों में कहा जाए तो जैसा कि हम जानते हैं कि मानव शरीर का सामान्य तापमान करीब 98.6 डिग्री फेरेनहाइट होता है। यही वजह है कि सर्दियों में जब हम सांस छोड़ते हैं तो शरीर में मौजूद यही गर्मी सांस के साथ बाहर निकलती है। जैसे ही शरीर से निकली यह गर्म हवा बाहर मौजूद ठंडे परिवेश में मिलती है, तो उसका वाष्पीकरण शुरू हो जाता है। इस तरह जब भी हम सर्दियों में अपने मुंह से सांस छोड़ते हैं, तो यह भाप के रूप में नजर आती है।

अब आपके में सवाल आ रहा होगा कि यही प्रक्रिया जब गर्मी में होती है, तो मुंह से भाप क्यों नहीं निकलती। इसके पीछे भी एक वजह है। दरअसल, गर्मियों के सीजन में हमारे शरीर का तापमान और बाहर का तापमान लगभग एक जैसा ही होता है। ऐसे में जब नमी हमारे मुंह से बाहर निकलती है, तो इसके अणुओं की गतिज ऊर्जा कम नहीं होती है, जिसकी वजह से वह दूर-दूर रहते हैं। आसान भाषा में समझे तो गर्मियों में नमी गैसीय अवस्था में ही बनी रहती हैं, जिसकी वजह से वह भाप या पानी की बूंदों में नहीं बदलती। इसका मतलब यह है कि जहां शरीर और बाहर का तापमान एक जैसा रहेगा, वहां हमारे मुंह से भाप नहीं निकलेगी।