मुजफ्फरनगर। किसान नेता जगबीर सिंह की हत्या के मामले में अदालत ने इंसाफ कर दिया। वादी योगराज सिंह खुद को अदालत में प्रत्यक्षदर्शी साबित नहीं कर पाए। सीबीसीआईडी की जांच में यह सामने आया था कि वारदात के दिन योगराज सिंह देहरादून गए हुए थे और वह जिला अस्पताल में देर रात 11 बजे तक भी नहीं पहुंचे थे। वारदात के दिन नरेश टिकैत का अलावलपुर माजरा में होना भी साबित नहीं हो पाया।

लंबी कानूनी लड़ाई के बाद सोमवार को किसान नेता की हत्या में फैसला आया। सीबीसीआईडी के डिप्टी एसपी जगतराम जोशी की जांच महत्वपूर्ण साबित हुई। आठ जनवरी 2005 की जांच में बताया गया कि जगबीर सिंह की हत्या रात आठ बजे हुई थी, जबकि वादी ने वारदात छह बजे होना बताया था। 30 जनवरी 2005 को अलावलपुर माजरा में हुई जांच में सामने आया कि घटना वाले दिन योगराज सिंह देहरादून गए हुए थे। यही नहीं जिला अस्पताल में रात 11 बजे तक भी लौटकर नहीं आए थे। इससे योगराज सिंह के मौके पर होने और प्रत्यक्षदर्शी होने पर संदेह हुआ। वादी पक्ष खुद को प्रत्यक्षदर्शी साबित नहीं कर सका। साक्ष्य के अभाव में चौधरी नरेश टिकैत दोषमुक्त करार दिए गए। 29 मई 2004 को यह मामला सत्र न्यायालय के सुपुर्द किया गया था। बचाव पक्ष ने अदालत में कहा था कि वारदात के दिन नरेश टिकैत देवी मंदिर में प्रसाद बांट रहे थे।

डिप्टी एसपी जगतराम जोशी ने 26 जनवरी 2005 को तत्कालीन एसओ बाबरी जितेंद्र सिंह चौहान का बयान लिया, जिसमें यह पाया गया कि छह सितंबर 2003 को शाम सात बजे चौधरी जगबीर सिंह लालूखेड़ी बस स्टैंड पर थे और लोगों से बातचीत कर रहे थे। जबकि मुकदमे लिखवाया गया था कि जगबीर सिंह की हत्या शाम छह बजे हुई।

वारदात के बाद अलावलपुर माजरा गांव से जिला अस्पताल तक जगबीर सिंह को लाने में लगे समय को अदालत से संदेहास्पद माना। वादी पक्ष ने करीब ढाई से तीन घंटे का समय दर्शाया, जबकि विवेचक ने कहा कि 40 से 50 मिनट ही लगनी चाहिए थे। आपात स्थिति में तो यह समय और भी कम हो सकता था।

बचाव पक्ष ने तत्कालीन एसएसपी नवनीत सिकेरा का अदालत में बयान कराया। वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल जिंदल ने बताया कि सिकेरा ने अपने बयान में कहा कि अस्पताल में भीड़ थी, वहां जो चर्चा हो रही थी, जो मैंने सुना कि सबसे पहले चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत, फिर राकेश टिकैत का नाम लिखाने की चर्चा हुई। लेकिन जो प्रार्थना पत्र दिया गया, उसमें प्रवीण व बिट्टू और नरेश टिकैत का नाम दर्ज था।

जांच में साबित हुआ कि आरोपी प्रवीण ने गोली चलाई थी। जगबीर सिंह के शरीर पर गोली लगने से एक घाव मिला था, जबकि वादी पक्ष ने दो गोली चलने की बात कही थी। वादी पक्ष ने दाईं तरफ से गोली चलने की बात कही, जबकि जांच में साबित हुआ कि एक गोली बाईं ओर से चली थी। पुलिस ने प्रवीण को गिरफ्तार कर तमंचा बरामद किया था। आरोपी बनाए गए प्रवीण कुमार की नौ मार्च 2003 और राजीव कुमार उर्फ बिट्टू उर्फ पटवारी की मृत्यु 14 सितंबर 2010 को हो गई थी।

वादी योगराज के बयान के बाद धारा 319 सीआरपीसी में चौधरी नरेश टिकैत को तलब किया गया।
पेश होने पर अदालत ने उन्हें जेल भेज दिया था। तीन दिन जेल में रहे और इसके बाद उनकी जमानत मंजूर हुई थी। थाना पुलिस, एसआईटी और सीबीसीआईडी ने विवेचना में नरेश टिकैत को क्लीन चिट मिली थी।

मुजफ्फरनगर। अदालत के फैसले के बाद भाकियू अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत ने कहा कि सत्य की जीत हुई है। हम निर्दोष थे और अदालत से न्याय मिल गया। हमें न्याय व्यवस्था पर पूरा भरोसा था। लंबी कानूनी लड़ाई चली, हमें पूरा भरोसा था कि एक न एक दिन इंसाफ जरूर मिलेगा।

मुजफ्फरनगर। अपने पिता किसान नेता जगबीर सिंह की हत्या के वादी पूर्व मंत्री योगराज सिंह ने कहा कि हम अदालत के फैसले से संतुष्ट नहीं हैं। कानून की लड़ाई जारी रहेगी। हम इंसाफ के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।