
मेरठ। मुजफ्फरनगर और मेरठ के 7 बड़े सराफा कारोबारियों के अलावा बड़े बिल्डर आयकर विभाग के रडार पर हैं। विभाग आय और व्यय से संबंधित सभी तथ्यों की गोपनीय जांच कर रहा है। सदर स्थित खेमचंद पवन कुमार सराफ के यहां सर्च के बाद सभी कारोबारी सतर्क हो गए हैं। उधर, लखनऊ में सराफा कारोबारी के यहां सोमवार को आयकर टीम ने सर्च किया। सूत्रों के अनुसार, आगामी 15 दिनों में आयकर विभाग प्रदेश में कई स्थानों पर सर्वे और सर्च अभियान चला सकता है।
मेरठ और मुजफ्फरनगर के सात बड़े सराफा कारोबारियों के बैंक लेनदेन की गोपनीय जांच की जा रही है। हालांकि विभागीय अधिकारी इसे रूटीन वर्क बता रहे हैं, लेकिन होमवर्क पूरा होने के बाद तैयारी सर्च की है।
इससे पहले 27 नवंबर को नोएडा बेस कंस्ट्रक्शन कंपनी में कुछ सफेदपोशों और अधिकारियों का काला धन लगे होने की सूचना पर नोएडा आयकर विभाग की टीम ने मेरठ में शास्त्रीनगर डी ब्लॉक स्थित बिल्डर मुकेश पाल के आवास व दिल्ली व नोएडा स्थित कार्यालय पर पूरी तैयारी के बाद चार दिन तक सर्च किया था। फिर 10 दिसंबर को सदर में खेमचंद पवन कुमार सराफ के कई ठिकानों पर दो दिन सर्च अभियान चला। यहां भी टीम को जो भी कैश, सोना और दस्तावेज मिले, उनका आकलन चल रहा है। सोमवार को आयकर विभाग ने लखनऊ में सराफा कारोबारी व चौक सराफा एसोसिएशन के अध्यक्ष कैलाश चंद जैन के ठिकानों पर सर्च किया। इस सर्च में कैलाश चंद जैन के बेटे आदीश जैन और पौत्र सिद्धार्थ जैन कच्चे बिल पर गहने बेचने पर फंस गए हैं।
अफसरों का आरोप है कि दोनों कारोबारियों ने जीएसटी की भी चोरी की है। आयकर टीम की 36 घंटे की जांच में शोरूम में घोषित सोने व चांदी के स्टॉक की कीमत से तीन करोड़ रुपये अधिक कैश पाया गया। यह सर्च बुधवार सुबह 10 बजे तक पूरी होगी। माना जा रहा है कि आयकर विभाग की इस कार्रवाई के पीछे कनेक्शन मेरठ से जुड़े हैं। मेरठ के सराफा कारोबारी के यहां सर्च के तुरंत बाद लखनऊ में सर्च किया। गाजियाबाद और मेरठ के कुछ अधिकारियों के अनुसार, कोरोना महामारी के बाद विभागीय जांच में तेजी आई है। वर्तमान में चल रही कार्रवाई और आगे होने वाली कार्रवाई के बारे में अधिकारियों ने कुछ भी बताने से इनकार कर दिया।
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