मुजफ्फरनगर। स्वच्छ भारत मिशन में मिले 8.70 करोड़ रुपये पालिका खर्च नहीं कर सकी। बजट से सफाई उपकरणों की खरीद की जानी थी, लेकिन पालिका नाकाम रही। नगर पालिका बोर्ड 2018 में स्वच्छ भारत मिशन में रुपये मिले थे और दिसंबर 2020 के अंत तक खर्च करना था, लेकिन 2021 तक भी खर्च नहीं हुए। नगर पालिका क्षेत्र में सफाई व्यवस्था को दुरुस्त करने को लेकर शासन ने 2018 में पालिका को आठ करोड़ 70 लाख रुपये जारी किया था। जिन स्थानों पर कम कूड़ा गिरता है, उनका निस्तारण करने के लिए वहां पर कांपेक्टर लगाने की योजना थी और आठ कांपेक्टर का पैसा पालिका को मिला है। कूड़ा गिरने के स्थान पर इसे खड़ा करना था और कूड़ा सीधे इसमें गिरता। तीन साल में
पालिका इन्हें खरीदने की प्रक्रिया को पूरा ही नहीं कर पा रही है।

इस पैसे से हैंडकार्ड, हाथ की रिक्शा और कूड़ा उठाने के 75 टीपर खरीदने थे। पालिका ने टीपर खरीदने को एक कंपनी को 2019 के प्रारंभ एक करोड़ 58 लाख का अग्रिम भुगतान कर दिया। यह कंपनी 11 टीपर दे पाई थी। बाद में विवादों में घिर गई, अब पांच टीपर की पूर्ति एक दिन पहले की है। सरकार का पूरा प्रोजेक्ट यहां धराशायी हो गया है। सरकार से मिले पैसे का ढंग से प्रयोग भी नहीं हो पा रहा है।

आठ करोड़ 70 लाख से नगर पालिका में आठ कांपेक्टर खरीदे जाने है, जिनकी कीमत दो करोड़ 40 लाख है। 75 मिनी टीपर खरीदे जाने हैं, जिनकी कीमत 5.25 करोड़ है। 150 हैंड कार्ड, 100 हाथ वाले रिक्शा खरीदे जाने हैं।

ईओ हेमराज का कहना है कि पैसा खर्च करने के लिए फाइल चलाई गई है। नोडल अधिकारी एडीएम प्रशासन को पत्र लिखा गया है। जल्द ही इस पैसे को खर्च करने के लिए समिति गठित होगी।
हम प्रयास में लगे हैं

चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल का कहना है कि शासन से जो बजट आया है, इसका जल्द ही प्रयोग किया जाएगा। टीपर की पूर्ति का मामला लटका था, जो जल्द हो रही है। अन्य उपकरण भी खरीदे जाएंगे।
टेंडर प्रक्रिया के आदेश दिए हैं

डीएम चंद्रभूषण सिंह ने कहा कि पालिका का बजट काफी समय से प्रयोग में नहीं हुआ था। इस पैसे को खर्च करने के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू की जा रही है। जल्द ही उपकरण की खरीद होगी।