चरथावल (मुजफ्फरनगर)। हिंडन नदी उफान पर होने से कई गांवों के किसानों की हजारों बीघा फसल डूबकर बर्बाद हो गई है। सड़क पर दो से तीन फीट तक पानी आने से कसौली-बुडढ़ाखेड़ा मार्ग का संपर्क टूट गया है। प्रकृति की मार से किसान और मजदूर बेबस और लाचार है। खेतों से पशुओं का चारा लाना मुश्किल हो गया।

पहाड़ी क्षेत्रों में बारिश थमने का नाम नहीं ले रही है। इसी वजह से हिंडन नदी में पानी बढ़ने के कारण किसानों का भारी नुकसान हो रहा है। बुड्ढ़ाखेड़ा और कसौली गांव में पानी घुसने से ग्रामीण हैरत में है। कसौली से बुड्ढ़ाखेड़ा होकर सहारनपुर मार्ग, कुटेसरा चौकड़ा मार्ग एवं रोहाना मार्ग पर पानी भरने के कारण आवागमन प्रभावित हो गया। एसडीएम सदर परमानंद झा और नायब तहसीलदार राजकुमार और प्रवीण कुमार ने मौका मुआयना किया। उन्होंने मौके से भीड़ को हटवाया।

कसौली के पूर्व प्रधान सुखपाल सिंह बताते है उनकी 40 बीघा ईख की फसल बर्बाद हो गई। शिक्षक मामचंद पुंडीर 1978 के बाद नदी में इतना पानी आने की बात करते है। कहते हैं कि खेतों से चारा लाना मुश्किल हो गया। गोशाला में पानी भरने से 143 गोवंश को प्राइमरी पाठशाला प्रांगण में सुरक्षित पहुंचाया गया। ग्रामीणों ने कई फीट पानी से घुसकर गायों को बचाया।

चरथावल क्षेत्र के कसौली, बुड्ढ़ाखेड़ा, छिमाऊ, न्यामू, सिकंदरपुर, नंगला राई, अकबरगढ़, पीपलशाह, कुल्हेड़ी आदि गांव नदी किनारे बसे है। यहां के हजारों किसानों का कृषि योग्य जमीन का रकबा नदी किनारे है। फिलहाल नदी में पानी ने खेतों की तरफ रूख कर लिया है। इससे हजारों बीघा फसल डूब गई है। ईख, सब्जी पूरी तरह नष्ट होने के कगार पर है। छिमाऊ के मुकेश कुमार बताते है उनकी याद में हिंडन कभी इतनी नहीं चढ़ी। बुड्ढ़ाखेड़ा में सीमेट व्यापारी नीरज ने रात को दुकान से सीमेंट हटवाया। उसकी दुकान के चाराें तरफ पानी चल रहा है। अकबरगढ़ में मुनेंद्र और सिकंदरपुर के सुमत आदि का कहना है कि खेतों में कई फीट तक पानी चढ़ा है।