मुजफ्फरनगर। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट बेंच की स्थापना की मांग को लेकर चल रही लड़ाई के दौरान आज फिर अधिवक्ताओं ने प्रदर्शन करते हुए केन्द्र सरकार से सस्ता और सुलभ न्याय देने की व्यवस्था के तहत हाईकोर्ट बेंच पश्चिम में स्थापित कराने की मांग की। अधिवक्ताओं ने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि लगातार आंदोलन के बाद भी सरकार इन इस ओर कोई कदम नहीं उठाया है।
हाईकोर्ट बैंच केन्द्रीय सघर्ष समिति पश्चिमी उत्तर प्रदेश के आह्नान पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट की मांग के सन्दर्भ में सिविल बार एसोसिएशन द्वारा एक आम सभा बुधवार को आयोजित की गई, जिसकी अध्यक्षता सुंगध जैन अध्यक्ष व संचालन ब्रिजेन्द्र सिंह मलिक महासचिव ने किया। आम सभा में बार के पदाधिकारियों व अन्य अधिवक्ताओं ने पश्चिम में हाईकोर्ट बेंच के लिए चलाये जा रहे आंदोलन पर चर्चा की। इसके बाद जुलूस के रूप में ये अधिवक्ता कलेक्ट्रेट स्थित डीएम कार्यालय पर पहुंचे और यहां पर मांग के समर्थन में नारेबाजी करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम एक ज्ञापन एडीएम प्रशासन अमित सिंह को सौंपा।
सिविल बार के महासचिव बिजेन्द्र सिंह मलिक ने बताया कि आज हाईकोर्ट बैंच के समर्थन में सिविल बार एसोसिएशनके सभी अधिवक्ताओं द्वारा न्यायिक कार्यों से विरत रहकर एक ज्ञापन प्रधानमंत्री को प्रेषित किया गया, इसमें कहा गया कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 22 जिलों का क्षेत्राधिकार इलाहाबाद उच्च न्यायालय में है, जोकि 500 से लेकर 750 किमी. की दूरी पर है तथा यह व्यवस्था सरकार के सस्ता व सुलभ न्याय के सि(ान्त के विपरीत है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय में लंबित मूल वादों का 52 प्रतिशत भाग केवल पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 22 जिलों से ही है, ऐसे में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जनता को सस्ता व सुलभ न्याय प्राप्त नहीं हो पा रहा है। इसलिए ही यहां की जनता 45 वर्षाे से अधिक समय से हाईकोर्ट बैंच की मांग कर रही है तथा आदोंलनरत चली आ रही है, लेकिन अब तक यहां बेंच स्थापित नहीं की गई है।
उन्होंने बताया कि कुछ राज्य ऐसे हैं कि जिनकी जनसंख्या लगभग पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बराबर ही 8 करोड़ है। उन राज्यों में मात्र उतनी जनसंख्या पर हाईकोर्ट खण्डपीठ है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश से काफी कम आबादी वाले राज्यों में भी हाईकोर्ट खण्डपीठ है, फिर पश्चिमी उत्तर प्रदेश अपेक्षित क्यों है। उन्होंने कहा कि शीघ्र व त्वरित न्याय प्रत्येक नागरिक का संवैधानिक अधिकार है तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश से हाईकोर्ट की दूरी यहां के वादकारियों के लिये जस्टिस एट दी डोर स्टेप की सरकार की नीतियों के विरु( है। जब गाँव स्तर पर अदालत बनाने हेतु निर्णय हो चुका है तो फिर उच्च न्यायालय की खण्डपीठ स्थापना मे देरी क्यों की जा रही है। इसी को लेकर अधिवक्ताओं ने रोष जताया। प्रदर्शन में मुख्य रूप से बिजेन्द्र सिंह मलिक, नेत्रपाल सिंह, डा. मीरा सक्सेना, राजसिंह रावत, अनुराग त्यागी आदेश सैनी, सतेन्द्र कुमार, सुधीर गुप्ता, सौरभ पंवार, सोहनलाल, अशोक कुशवाहा, अर्जुन सिंह, संत कुमार अहलावत, राकेश पाल आनन्द कुमार सहित अन्य अधिवक्ता शामिल रहे।
हाईकोर्ट बेंच स्थापना के समर्थन में आज जिला बार संघ द्वारा बुधवार को जिला कचहरी में सम्पूर्ण हड़ताल का आह्नान किया गया, जिस कारण न्यायिक विभाग में अधिवक्ताओं ने नो वर्क के कारण कोई भी कार्य नहीं किया। जिला बार संघ के अध्यक्ष कलीराम और महासचिव अरूण कुमार शर्मा ने बताया कि आज हाई कोर्ट बेंच केंद्रीय संघर्ष समिति के आह्वान पर एवम् साथ ही पितृ विसर्जन अमावस्या को देखते हुए जिला बार संघ द्वारा नो वर्क घोषित किया। इसके तहत बार के सभी सदस्य अधिवक्ताओं ने न्यायालयों में न्यायिक कार्य नहीं किया और कहचीर में कम्पील नो वर्क रहा। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि बार कौंसिल आफ उत्तर प्रदेश प्रयागराज के निर्णय के तहत बार संघ के सदस्यों की फोटोयुक्त मतदाता सूची तैयार की जा रही है। इस सूची को बार कौंसिल को भेजा जायेगा। इसके लिए एक निर्धारित प्रारूप तैयार किया गया है, जो बार संघ कार्यालय से प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने सभी सदस्यों से 15 अक्टूबर तक यह प्रारूप जमा कराने की अपील करते हुए कहा कि प्रारूप जमा नहीं कराने पर मतदाता सूची में सदस्य का नाम अंकित नहीं किया जाएगा। इस प्रारूप के साथ बार कौंसिल प्रमाण पत्र, और सीओपी प्रमाण पत्र की छायाप्रति तथा दो फोटो भी देने होंगे।