शामली। मुजफ्फरनगर के बाद अब शामली जिले के मदरसों को दिए जा रहे नोटिस मुस्लिम समुदाय में आक्रोश पैदा कर रहे हैं। नोटिस की खिलाफ जमीअत उलमा के पदाधिकारीयों ने बुधवार को कलेक्ट्रेट पहुंचकर डीएम को ज्ञापन सौंपते हुए नोटिस वापस लेने की मांग की है।
ज्ञापन में निशुल्क बाल शिक्षा अधिनियम के उल्लंघन का जिक्र है। जमीअत उलमा के पदाधिकारी मुस्तकीम, इमरान, अय्यूब, और अन्य ने इस मामले में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि मदरसों में निशुल्क धार्मिक शिक्षा दी जाती है और वे गैर सरकारी सहायता से चल रहे हैं। ज्ञापन में उल्लिखित किए गए नोटिस वापस लिए जाने की मांग की गई है।
निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिनियम के संशोधित अधिनियम 2012 के अनुसार, यह अधिनियम मुस्लिम मदरसों, वैदिक पाठशालाओं, धार्मिक संस्थाओं पर लागू नहीं होता है। इसे ध्यान में रखते हुए, जमीअत उलमा ने नोटिस वापस लेने की मांग की है।
स्थानीय अधिकारी इस मुद्दे पर आगाह हैं, और संबंधित जांच कर रहे हैं। समुदाय के बीच इस विवाद पर ध्यान दिया जा रहा है। ज्ञापन देने वालों में मौलाना मो. ताहिर अध्यक्ष जमीअत उलमा शामली, मौलाना मो. तहसीम, मौलाना खुर्शीद, मौलाना मुस्तकीम, मौलाना इमरान, मौलाना अय्यूब, कारी इरशाद, कारी जुबैर, मौलाना नाजिम, मास्टर शाह आलम, कारी नजाकत, मौलाना आसिफ, मौलाना आकिल आदि शामिल रहे।