सहारनपुर: अक्सर किसानों को गन्ने की फसल में लगने वाले कीटों से काफी नुकसान होता है, लेकिन अब किसानों को उन कीटों से फसल को बचाने के लिए हजारों रुपए खर्च करने की जरूरत नहीं है. गन्ने में लगने वाले बेधक कीटों का जैविक विधि से इलाज ट्राईको कार्ड के द्वारा किया जा रहा है. इन कीटों के प्रभावी नियंत्रण के लिए सिर्फ एक कार्ड की ही जरूरत होगी. जिसके प्रभाव से बेधक कीटों का खुद-ब-खुद सफाया हो जाएगा.

यहां मात्र 50 रुपए में यह ट्राईको कार्ड किसानों को उपलब्ध हो जाता है. सहारनपुर के किसानों को ट्राईको कार्ड लेने के लिए मेरठ जाना पड़ता है. ट्राईको कार्ड के टुकड़ों को गन्ने की पत्तियों के निचले हिस्से पर स्टेपल कर 18×9 सेमी के ट्राईको कार्ड में लगभग 18000- 20000 परजीवी अंडे होते हैं. लगभग 0.3 से 0.5 मिलियन परजीवी अंडे (15 से 25 ट्राइको-कार्ड) को एक हेक्टेयर गन्ना क्षेत्र में उचित किश्तों में छोड़ने की आवश्यकता होती है.

इस ट्राईको ग्रामा काइलोनिकस के कार्ड को कीट के वयस्क, परजीवी के रूप में गन्ने के खेत में पत्ती की निचली सतह पर प्रत्यारोपित किया जाता है. जब बेधक कीट की मादा अंडे देती है, तो उन अंडों पर ये परजीवी के रूप में रहकर उन्हें नष्ट कर देता है, जिससे बेधक कीट की हानिकाकरक सूंडी खुद ही समाप्त हो जाती है.

कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी एवं प्रोफेसर डॉक्टर आई.के कुशवाहा ने लोकल 18 से बात करते हुए बताया कि एक एकड़ खेत में ढाई कार्ड की जरूरत होती है. एक कार्ड में 20 हजार वयस्क परजीवी होते हैं, यानी एक एकड़ के लिए 50 हजार वयस्क परजीवी का प्रयोग होता है. इस कार्ड का प्रयोग अक्टूबर से दिसंबर के बीच 15 दिन के अंतराल पर करना चाहिए.

जहां ढाई कार्ड को 10 टुकड़ों में काटे, फिर एक टुकड़े को 10 मीटर स्पेस छोड़ते हुए गन्ने की पौध में प्रयोग करें. इस ढाई कार्ड के दस टुकड़ों को एक हेक्टेयर खेत में 10 जगह पर प्रयोग करना है. इस ट्राईको कार्ड की कीमत 35 से 50 रुपए रखी गई है, लेकिन सहारनपुर के किसानों को यह ट्राइको कार्ड आसानी से उपलब्ध नहीं हो पा रहा है.

ऐसे में सहारनपुर के किसानों के लिए गन्ने के खेत में समस्या बनी हुई है. सहारनपुर किसानों को मेरठ से इस कार्ड को खरीद कर लाना पड़ रहा है. जबकि किसान मांग कर रहे हैं कि अगर इस कार्ड को सहारनपुर में तैयार किया जाए, तो किसानों को फसल बचाने में काफी मदद मिलेगी.