सहारनपुर : शामली एनकाउंटर के बाद मुस्तफा उर्फ कग्गा का नाम फिर सुर्खियों में है। वह कभी शूटिंग रेंज में नहीं गया, लेकिन उसका निशाना अचूक था। किशोर अवस्था में ही वह अपराध की दुनिया में कदम रख चुका था।
शामली में चार बदमाशों के एनकाउंटर के बाद से ही मुस्तफा उर्फ कग्गा का नाम सुर्खियों में है। साल 2011 में कग्गा भले ही एनकाउंटर में मारा गया हो, लेकिन उसके कुछ कारनामे ऐसे हैं, जिनकी अकसर चर्चाएं होती हैं। मुस्तफा कौवा पकड़ने में माहिर था। इसीलिए उसका नाम कग्गा पड़ गया। वह कभी शूटिंग रेंज में नहीं गया, लेकिन उसका निशाना अचूक था।
मूल रूप से गंगोह के बाढ़ी माजरा गांव का रहने वाला मुस्तफा 10वीं फेल था। जैसे ही उसने किशोर अवस्था में कदम रखा तो उसकी राह बदल गई और अपराध की तरफ बढ़ता चला गया। मुस्तफा कग्गा (कौवा) पकड़ने में माहिर था। ग्रामीण बताते हैं कि मुस्तफा इतना फुर्तीला था कि वह कौवे को झपट्टा मारकर पकड़ लेता था। इसके बाद उसके पैर में घुंघरू बांध देता था। पहली बार एक पड़ोसन के कहने पर कौवा पकड़ा था। इसीलिए मुस्तफा का नाम कग्गा पड़ गया और अपराध की दुनिया में उतरने के बाद गैंग भी कग्गा के नाम से जाना जाने लगा। कग्गा के एनकाउंटर के बाद मुकीम काला ने गिरोह की कमान संभाल ली थी। एनकाउंटर के समय कग्गा की उम्र महज 24 साल थी।
मुस्तफा उर्फ कग्गा के बड़े भाई अब्दुल कय्यूम बताते हैं कि उसका निशाना अचूक था। वह कभी शूटिंग रेंज में गया ही नहीं। फिर भी निशाना ऐसा था कि देखने वाला हैरान रह जाए। वह बचपन में घर में रखी एयरगन से निशाना लगाता था। 2009 में अपराध की दुनिया में उतरा और तीतरो के पास पहली लूट की। इसके बाद उसने पिस्टल समेत अत्याधुनिक हथियार उठा लिए और ताबड़तोड़ आपराधिक वारदात को अंजाम देकर जरायम की दुनिया में चर्चित हो गया। कग्गा अविवाहित था, मगर उसकी एक महिला मित्र थी। परिजनों का कहना है कि वह भी एक साजिश के तहत मुस्तफा के साथ शामिल की गई थी।
अब्दुल कय्यूम ने बताया कि उनकी रिश्तेदारी पाकिस्तान के गुजरांवाला जिले में है। 17 मार्च 2020 को पिता जाहिर हसन और मां बिल्किस पाकिस्तान रिश्तेदारी में गए थे। दोनों हार्ट के मरीज थे। 23 मार्च को लॉकडाउन लग गया था। इसके बाद वे वापस नहीं आ सके। दोनों की दवाई भी खत्म हो गई थी। लॉकडाउन की वजह से दवाई उन तक नहीं पहुंची और पाकिस्तान में वह दवाई नहीं मिली। इस कारण तीन जून 2020 को पिता और 16 जून को मां का निधन हो गया था।
मुस्तफा उर्फ कग्गा के एनकाउंटर के बाद गैंग मुकीम काला ने संभाला। मुकीम काला एनकाउंटर के बाद अरशद चर्चा में आ गया था। अरशद की दादी मुस्तफा की दादी की सगी बहन थी। इस रिश्ते में अरशद और मुस्तफा भाई-भाई लगते हैं। दोनों एक ही गांव के रहने वाले थे। इसलिए अरशद उसके गैंग में शामिल हो गया था।