सहारनपुर. प्रदेश सरकार के चिकित्सा बजट में सहारनपुर के शेख-उल-हिंद मौलाना महमूद हसन मेडिकल कालेज की हिस्सेदारी में वार्षिक बजट केवल 10 करोड़ है। बजट में रसायन व दवाओें पर ही करीब छह करोड़ खर्च हो जाते है। चिकित्सीय व अन्य स्टाफ के वेतन पर करीब 15 करोड़ खर्च आ रहा है। ऐसे में कालेज में एम्स जैसी सुविधायें चाहना या एम्स की तर्ज पर विकसित करने की मांग करना सपने से कम नहीं है। स्वीकृत पदों के सापेक्ष 70 फीसदी चिकित्सीय स्टाफ से ही यहां काम चलाया जा रहा है।सहारनपुर के अंबाला रोड पर मेडिकल कालेज का निर्माण वर्ष-2009-10 में आरंभ हुआ था। 20 एकड़ में फैले मेडिकल कालेज का शुभारंभ वर्ष-2013 में हुआ।

कालेज शुरू होने के साथ ही लोगों को लगा था कि अब गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीजों को दिल्ली, चंडीगढ़ अथवा देहरादून नही ले जाना पड़ेगा। समय बीतने के बावजूद यह उम्मीद एक दशक बाद भी अधूरी है। तीमारदार आज भी मरीजों को बाहरी स्थानों पर ले जाने को तरजीह देते है। पिछले काफी समय से स्वयंसेवी संगठन और कई राजनीतिक दल मेडिकल कालेज को एम्स की तर्ज पर विकसित करने की मांग करते रहे है। चुनाव के दौरान तो मांग को पूरा कराने के लिए बड़े-बड़े वायदे भी किए गए लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद भी वायदे पूरे नही हो सके। अब देखना है कि 2022 में किए वायदों पर कब तक अम्ल होता है।कम बजट और संसाधन भी नहीयदि लखनऊ के केजीएमयू और संजय गांधी पीजीआई की बात करें तो इन संस्थानों को वार्षिक एक हजार करोड़ के आसपास बजट मिलता है।

सहारनपुर के मेडिकल कालेज का वार्षिक बजट केवल 10 करोड़ है, इसमें से रसायन व दवाओं आदि पर छह करोड़ खर्च हो जाते है। भवन के अनुश्रवण पर 10 वर्षों में पहली बार केवल पांच लाख का बजट मिला है। भाजपा के अलावा सपा, बसपा और कांग्रेस के नेता भी मेडिकल कालेज में सुविधाएं बढ़वाने की बात करते रहे है। बसपा के शासनकाल में कालेज को स्वीकृति मिली और निर्माण शुरू हुआ। सपा के शासनकाल में इसका शुभारंभ हुआ था। 2017 से प्रदेश में भाजपा सत्तारूढ़ है। पिछले दिनों मंडल के प्रभारी व उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय द्वारा निरीक्षण किया गया था।नही ट्रामा सेंटर और शोध विभागमेडिकल कालेज में अभी ट्रामा सेंटर का संचालन नही हो सका है। शोध के लिए मल्टी डिस्पलरी रिसर्च यूनिट के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। स्वीकृति मिलने पर इसे शुरू किया जा सकेगा।

रेडियोथैरेपी की व्यवस्था भी अभी सुलभ नही है। 440 बैड के कालेज में कोरोना काल के दौरान दो वर्षों तक कोविड हास्पिटल बनाया गया था। मंडल के सहारनपुर, मुजफ्फरनगर और शामली के अलावा अन्य स्थानों से भी यहां सैकड़ों मरीजों को उपचार मिला था। डायलासिस की सुविधा भी यहां नही है।कालेज से एमबीबीएस के तीन बैच मेडिकल कालेज में एमबीबीएस की 100 सीटें है। यहां से दो बैच निकल चुके है जबकि तीसरा बैच अगले कुछ समय बाद निकल जायेगा।

यहां स्वीपर वार्ड ब्वाय और माली भी अपेक्षित संख्या में नही है। हाल ही मे एचआईवी मरीज की सफल सर्जरी यहां हो चुकी है। फरवरी-2019 में जिले में हुए शराब कांड के पीड़ितों का मेडिकल कालेज में उपचार चला था।छात्रावास की सुविधाकालेज के भीतर पुरुष और महिला छात्रों के लिए अलग-अलग छात्रावास है। विशाल कमरे, लाउंज,प्रत्येक छात्रावास में रंगीन टेलीविजन सेट वाले मनोरंजन कक्ष, अन्य सभी आधुनिक सुविधाओं के साथ छात्रावास भवन, अध्ययन के लिए उचित माहौल सुनिश्चित करने के लिए बनाए गए हैं। कालेज में संचालित विभागसंज्ञाहरण, शरीर रचना, जीव रसायन,रक्त बैंक,कार्डियलजी,सामुदायिक चिकित्सा,दंत चिकित्सा,त्वचाविज्ञान, वेनेरोलाजी और कुष्ठ रोग, ईएनटी.आपातकालीन, सामान्य शल्य चिकित्सा, माइक्रोबायोलसजी, नेफ्रोलाजी, ओबीएस और स्त्री रोग, नेत्र विज्ञान, हड्डी,विकृति विज्ञान,औषध विज्ञानभौतिक चिकित्सा और पुनर्वास (पीएम एंड आर), शरीर क्रिया विज्ञान, मनश्चिकित्सा, क्षय रोग और श्वसन रोग, मूत्रविज्ञान।

मेडिकल कालेज में जितने भी संसाधन उपलब्ध है, उन सभी का भरपूर उपयोग कर मरीजों को लाभान्वित कराने के प्रयास किए जा रहे है। अभी कई और सुविधाओं की यहां आवश्यकता है जिनके बारे में शासन को प्रस्ताव बनाकर भेजे गए है। उपचार लेने वाले मरीजों को बेहतर चिकित्सीय सुविधाएं सुलभ कराना प्राथमिकता है।

– डा.अरविंद त्रिवेदी, प्राचार्य शेख-उल-हिंद मौलाना महमूद हसन मेडिकल कालेज।