मुजफ्फरनगर। जनपद की एक अदालत ने तीन सगे भाइयों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। दोषियों ने 11 साल पहले निरगाजनी में गोली मारकर दलित युवक की हत्या की थी। कोर्ट ने तीनों दोषियों पर 43-43 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है।

विशेष लोक अभियोजक यशपाल सिंह ने बताया कि थाना भोपा क्षेत्र के गांव निरगाजनी निवासी कर्मचंद पुत्र आसाराम की गोलियां बरसाकर हत्या की गई थी। उन्होंने बताया कि इस मामले में वादी मुकदमा एवं मृतक के भाई कर्मवीर ने रिपोर्ट दर्ज कराते हुए बताया था कि 26 अप्रैल 2011 को सुबह 7 बजकर 30 मिनट पर रमेश, अमरेश तथा धनपाल आदि कर्मचंद के खेत में गए थे। इसी दौरान उसके साथ गाली गलौज करने लगे। वहां शोर सुनकर कर्मचंद की पत्नी राजेश एवं बेटा मनोज भी आ गए।

उन्होंने बताया कि इस दौरान वह भी मौके पर पहुंच गया। इसके बाद कर्मचंद दहशत के चलते बारात घर की छत पर चढ़ गया। जिसके पीछे रमेश, अमरेश और धनपाल भी हाथों में तमंचे लेकर चढ़ गए। जहां उन तीनों ने गोलियां बरसाकर कर्मचंद की हत्या कर दी। जिसके बाद तीनों ने कर्मचंद के शव को छत से नीचे फेंक दिया। लाठी डंडों से औरतों ने भी चोट पहुंचाई। जिसमें मृतक का बेटा मनोज भी घायल हो गया।

विशेष लोक अभियोजक यशपाल सिंह ने बताया कि कर्मवीर ने मुकदमा दर्ज कराते हुए बताया था कि उसके भाई कर्मचंद के शव को आरोपितों ने पहले साइकिल पर रखकर पूरे गांव में घुमाया। उसके बाद उन्होंने ट्रैक्टर पर शव बांधकर लोगों को दिखाया तथा गंग नहर में उसे बहा दिया। बताया कि घटना की विवेचना तत्कालीन सीओ जानसठ जवाहर लाल ने की थी। जिसके बाद तीनों मुख्य आरोपितों के खिलाफ हत्या तथा एससी-एसटी एक्ट के तहत कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया गया।

विशेष लोक अभियोजक यशपाल सिंह एवं सहदेव सिंह ने बताया कि घटना के मुकदमें की सुनवाई विशेष एससी-एसटी कोर्ट के जज जमशेद अली ने की। उन्होंने बताया कि आरोपित घटना के बाद से ही जेल में बंद थे। उनकी जमानत कोर्ट ने खारिज कर दी थी। उन्होंने बताया कि दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद कोर्ट ने हत्या तथा अन्य आरोपों में तीन सगे भाइयों अम्बरेश, धनपाल एवं रमेश उर्फ प्रधान पुत्रगण बलबीर निवासीगण निरगाजनी को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई। तीनों दोषियों पर कोर्ट ने 43-43 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया।

विशेष लोक अभियोजक यशपाल सिंह ने बताया कि मुकदमें को प्रभावित करने के लिए एक बड़ी साजिश रची गई थी। इस मामले में कुछ साल पहले तीन फर्जी चश्मदीद गवाहों को कोर्ट में पेश कर गवाही कराई गई थी। यह मामला खुलने पर थाना जानसठ पुलिस ने 3 आरोपियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज की थी। उन्होंने बताया कि कोर्ट ने तीनों फर्जी चश्मदीदों के बयान रिजेक्ट कर उन्हें एक लिफाफे में सील कर रख दिए थे।