नई दिल्ली. शिवसेना पार्टी में चल रही बगावत आने वाले राष्ट्रपति चुनाव में और खुलकर सामने आ सकती है। विधायकों के बाद शिवसेना के कुछ सांसद पार्टी लाइन से अलग जाते दिख रहे हैं। पार्टी के अंदर उपजे इस हालात के लिए ज्यादातर सांसद संजय राउत को जिम्मेदार ठहरा रहे है। बता दें कि राष्ट्रपति चुनाव में यशवंत सिन्हा (विपक्ष के उम्मीदवार) या फिर द्रौपदी मुर्मू को वोट दिया जाए यह सवाल शिवसेना के सामने खड़ा है। इसमें कुछ सांसद द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में हैं वहीं संजय राउत ने सांसदों से कहा है कि यशवंत सिन्हा का समर्थन करना चाहिए।

बता दें कि राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए गठबंधन ने द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार बनाया है। वहीं विपक्ष ने यशवंत सिन्हा को मैदान में उतारा है। ऐसे में उद्धव ठाकरे के साथी संजय राउत यशवंत सिन्हा को पार्टी का समर्थन देना चाहते हैं. लेकिन अभी आखिरी फैसला उद्धव ठाकरे को लेना है।

इस संबंध में शिवसेना के राज्यसभा सदस्य संजय राउत ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि सोमवार को शिव सेना की बैठक में एनडीए के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने पर चर्चा हुई थी। द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने का मतलब भाजपा का समर्थन करना नहीं है। एक-दो दिन में साफ हो जाएगी। राष्ट्रपति चुनाव में शिवसेना की भूमिका पर पार्टी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे फैसला करेंगे। उन्होंने कहा कि विपक्ष जिंदा रहना चाहिए। हमारे पास विपक्ष के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के प्रति भी सम्मान है। हमने पहले भी प्रतिभा पाटिल का समर्थन किया था, एनडीए उम्मीदवार का नहीं। हमने प्रणब मुखर्जी का भी समर्थन किया था। उन्होंने कहा कि शिवसेना दबाव में फैसले नहीं लेती है।

बता दें कि एक दिन पहले पार्टी बैठक में ज्यादातर लोकसभा सदस्यों द्वारा द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने का दबाव बनाए जाने पर पार्टी के राज्यसभा सदस्य संजय राउत नाराज होकर बैठक से बाहर चले गए। राउत ने प्रेस से बात करते हुए कहा कि पार्टी जो भी फैसला करेगी, वे उसका सम्मान करेंगे।

सूत्रों के अनुसार, पार्टी के ज्यादातर लोकसभा सदस्य पिछले दिनों पार्टी में पैदा हुए राजनीतिक संकट के लिए संजय राउत को जिम्मेदार मानते हैं। सांसदों का मानना है कि राकांपा अध्यक्ष शरद पवार से राउत की घनिष्ठता शिवसेना को नुकसान पहुंचा रही है।