अयोध्या: राम नगरी अयोध्या के रहने वाले एक युवक की हरियाणा के नूंह में सड़क दुर्घटना में मौत हो गई. लग्जरी कार रोल्स-रॉयस की टक्कर से टैंकर में आग लगी और अयोध्या के कुलदीप सिंह की दर्दनाक मौत हो गई. यही नहीं इस युवक को हरियाणा में कफन तक नसीब नहीं हुआ. इसकी मौत के बाद इसका परिवार अनाथ सा हो गया है. कैसे इसकी परिवार की जीविका चलेगी यह बात भी इसके परिवार वालों को समझ में नहीं आ रही है.

जानकारी मुताबिक मृतक कुलदीप सिंह की पत्नी के साथ तीन मासूम बेटियों हैं. दो छोटे भाई व माता-पिता हैं. इन सभी का खर्च कुलदीप सिंह ही वहन कर रहे थे. कुलदीप सिंह एफको कंपनी में सुपरवाइजर थे और घटना के दिन हरियाणा के नूह में टैंकर में बैठकर अपनी ड्यूटी पर जा रहे थे, कि तभी दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे पर कुबेर ग्रुप आफ कंपनी के मालिक की अनियंत्रित रोल्स-रॉयस कार टैंकर में टकरा गई. इस हादसे में एक तरफ जहां कुलदीप सिंह की मौत हुई वहीं इनके सहारे पल रहे परिवार के कुल सात लोगों के सपनों की भी मौत हो गई.

दरअसल माता-पिता पत्नी इसकी तीन बेटियां और दो छोटे भाई हैं जो अनाथ से हो गए हैं. इतना ही नहीं कुलदीप सिंह की मौत के साथ ही परिवार के सामने कई सवाल खड़े हो गए हैं कि अब कैसे होगी इसकी बेटियों की शादी?, कौन करेगा कन्यादान?, कौन उठायेगा शादी का खर्च?, बुजुर्ग पिता अपने जवान बेटे की मुखाग्नि दी. कुलदीप सिंह के दो छोटे भाई हैं जो अपने बड़े भाई के ही नौकरी पर जीते थे. अब वह भी अनाथ से हो गए हैं. पिता खेती करते हैं लेकिन खेती से इस परिवार का गुजारा कैसे होगा यह तो भविष्य बताएगा, लेकिन तीन बेटियों की शादी कैसे होगी यह परिवार पर बहुत बड़ा बोझ बनकर सामने आ गया है.

वहीं कुलदीप के मरने के बाद पूरे परिवार में कोहराम मचा हुआ है. उसकी पत्नी सोचते सोचते अक्सर बेहोश हो जाती हैं फिर परिवार वाले उसके मुंह पर पानी का छींटा मारकर उसको होश में लाते हैं. उसके परिवार की जीविका कैसे चलेगी अब यह सोचने वाली बात होगी. वहीं परिवार वालों का कहना है कि उसके घर के बड़े पुत्र की मौत भी असमय हुई और अंतिम समय में हरियाणा में उसे कफन भी नसीब नहीं हुआ. कुलदीप का परिवार जिला मुख्यालय से लगभग 40 से किलो मीटर दूर थाना महाराजगंज के महाराजीपुर गांव में रहता है. इस परिवार में कभी कोहराम मच जाता है तो कभी सन्नाटा पसर जाता है. हालांकि पड़ोस वाले ढांढस जरूर बंधा रहे हैं, लेकिन बड़े बेटी की गैर मौजूदगी परिवार पर पहाड़ जैसे गिरना है.