मुजफ्फरनगर। एशिया की सबसे बड़ी गुड़ मंडी में गुड़ की आवक प्रारंभ हो गई है। पहले दिन चार हजार गुड़ के कट्टे मंडी में पहुंचे। पहले दिन मंडी में गुड़ और शक्कर के भाव चार हजार रुपये क्विंटल रहे। जिले में लगभग 100 कोल्हू चल गए हैं, इन पर गन्ना 290 से 300 रुपये क्विंटल खरीदा जा रहा है।

जिले के गुड़ बनाने वाले कोल्हुओं में गन्ने की पेराई बड़े स्तर पर शुरू हो गई है। मंगलवार से गुड़ मंडी में गुड़ की आवक शुरू हो गई। गन्ने में रिकवरी कम होने के कारण कोल्हू संचालकों को गुड़ बनाने के लिए अभी चीनी का प्रयोग करना पड़ रहा है। किसानों से कोल्हू संचालक गन्ना 290 से 300 रुपये क्विंटल खरीद रहे हैं। आर्थिक जरूरतें और सरसों की बुवाई के लिए किसान चीनी मिलों से कम दामों पर अपना गन्ना कोल्हू पर सप्लाई कर रहे हैं।

मंडी में व्यापारी अचिंत मित्तल ने गुड़ की पहली बुग्गी बेची, जिसे व्यापारी संजय मित्तल ने खरीदा। मंडी में पहले दिन लगभग चार गुड़ के कट्टों की आवक हुई। पहले दिन गुड़ लड्डू 1500 से 1550 बिका, चाकू 1625 रुपये तक बिका। खुरपा 1380 से 1400 तक, पेड़ी 1475 रुपये और शक्कर 1600 से 1650 तक बिकी। गुड़ एसोसिएशन के मंत्री श्याम सिंह सैनी ने बताया कि पहले दिन लगभग 70 कोल्हुओं का माल मंडी में आया।

बाजार में नया गुड़ आते ही पुराने गुड़ के भाव अचानक लुढक गए हैं। गुड़ के दाम चार हजार से 3100 रुपये क्विंटल पर पहुंच गए हैं। जनपद के शीतगृहों में इस समय एक लाख 12 हजार गुड़ के कट्टो का भंडारण है। गुड़ मंडी मुजफ्फरनगर से ही देश के सभी राज्यों में गुड़ की सप्लाई होती है। गुड़ का व्यापार बारिश से प्रभावित होता है। जिस तरह लगातार बारिश हो रही थी, ऐसे में भंडारण करने वाले व्यापारियों ने गुड़ की बिक्री नहीं की थी। 3850 रुपये क्विंटल के भाव में गुड़ नहीं बेचा। अब मौसम साफ हुआ और नया गुड़ बाजार में आ गया। इससे पुराने गुड़ के दाम अचानक लुढक गए है। गुड़ मंडी एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय मित्तल का कहना है कि पुराने गुड़ की डिमांड एकदम कम हो गई है। शीतगृहों में इस समय गुड़ का भंडारण एक लाख 12 हजार गुड़ के कट्टे हैं। जिन लोगों ने भंडारण किया है उन्हें अब अधिक घाटा हो जाएगा। गुड़ का सीजन छह माह चलता है और छह माह तक शीतगृहों से ही गुड़ की सप्लाई होती है। सीजन के दौरान यहां गुड़ भंडारण 14 से 15 लाख गुड़ के कट्टे हो जाता है।