नई दिल्ली। एक तरफ जहां गन्ना किसानों की फसल खेतों में तैयार खडी है ओर चीनी मिलों में पेराई सत्र शुरु होने वाला है, वहीं दूसरी ओर 45 चीनी मिलों को बंद करने के आदेश से हडकंप मच गया है। यह पहली बार है जब इतनी बडी संख्या में चीनी मिलों को बंद करने का आदेश दिया गया है।
गन्ना पेराई सत्र 1 नवंबर से शुरू होगा और इससे ठीक पहले केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 45 सहकारी चीनी मिलों को बंद करने का नोटिस भेजा है। यह पहली बार है कि इतनी बड़ी संख्या में चीनी इकाइयों को बंद करने का नोटिस दिया गया है।
सीपीसीबी ने पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के घोर उल्लंघन के लिए महाराष्ट्र में 45 सहकारी चीनी मिलों को बंद करने का आदेश दिया है। महाराष्ट्र में कुल 190 चीनी मिलें हैं, जिनमें से 105 चालू हैं।
महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) को लिखे एक पत्र में, सीपीसीबी के कमलेश सिंह ने कहा कि उन्होंने गैर-स्थापना/गैर-कनेक्टिविटी के कारण पर्यावरण संरक्षण अधिनियम की धारा 5 के तहत गैर-अनुपालन करने वाले चीनी उद्योगों को बंद करने के निर्देश दिए हैं।
धारा 5 के तहत केंद्र सरकार के पास किसी भी उद्योग को बंद करने का पावर है। इस धारा के तहत केंद्र प्रतिस्ठान का संचालन या प्रक्रिया को बंद करने, बिजली और पानी की आपूर्ति या किसी अन्य सेवा को रोकने या रेगुलेट करने सहित निर्देश देने की शक्तियां हैं।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “सीपीसीबी उम्मीद कर रहा था कि राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड निर्देशों का कार्यान्वयन सुनिश्चित करेगा और इन्हें बंद करना सुनिश्चित करेगा। साथ ही राज्य बिजली बोर्ड से इनकी बिजली सप्लाई बंद करने के लिए कहेगा।“ सीपीसीबी ने महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को इन 45 चीनी मिलों का निरीक्षण और सत्यापन करने के लिए कहा है।
साथ में केंद्रीय बोर्ड ने कहा है कि यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि चीनी इकाइयां सीपीसीबी से बंद करने के निर्देश को रद्द किए बिना किसी भी परिस्थिति में आगामी पेराई सत्र 2023-24 के दौरान अपना परिचालन शुरू नहीं करेंगी।
अधिकारी ने कहा, ’’एमपीसीबी को 10 नवंबर, 2023 से पहले की गई कार्रवाई रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है।’’ महाराष्ट्र राज्य सहकारी चीनी कारखाना महासंघ के अध्यक्ष पी आर पाटिल ने नोटिस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, ’मुझे ऐसे किसी नोटिस की जानकारी नहीं है। हम अपने सदस्यों के साथ इस पर चर्चा करेंगे और फिर कार्रवाई की दिशा तय करेंगे। ”
एक अधिकारी ने कहा, “ऐसा नहीं है कि शरद पवार गुट या कांग्रेस की सहकारी चीनी मिलों को निशाना बनाया गया है। भाजपा से संबंधित चीनी मिलें भी सूची में पाई गईं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि सीपीसीबी ने चीनी इकाइयों को बंद करने का आदेश दिया है, लेकिन मिलों को बंद करना मुश्किल होगा क्योंकि, सभी फैक्ट्रियों के मालिक बहुत शक्तिशाली और राजनीतिक से जुड़े हुए हैं।“