बागपत। दक्षिण कश्मीर में शोपियां इलाके के वनगाम में आतंकियों से लोहा लेते हुए शनिवार रात शहीद हुए बागपत के लुहारी गांव के लाल पिंकू कुमार का पार्थिव शरीर सोमवार को गांव में पहुंचा। हजारों की संख्या में लोग वीर सपूत के अंतिम दर्शन को गांव में पहुंच गए। शहीद की अंतिम यात्रा के दौरान पूरा वातावरण भारत माता के जयकारों से गूंजता रहा। वहीं गांव में दुल्हैंडी का त्योहार नहीं मनाया गया।
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गांव में होली के गीतों की बजाय भारत माता की जय, वंदेमातरम और शहीद पिंकू कुमार अमर रहें का उद्घोष गूंजता रहा। गमगीन माहौल के बीच शहीद का अंतिम संस्कार किया गया। शहीद को विदाई देते हुए हर किसी की आंख नम हो गई।

सांसद डाॅ. सत्यपाल मलिक, डीएम राजकमल यादव, एसपी अभिषेक सिंह भी गांव पहुंचे और शहीद को श्रद्धांजलि दी। सरकार की ओर से घोषित 50 लाख की आर्थिक सहायता में से 15 लाख का चेक शोकाकुल परिजनों को सौंपा।
आतंकियों के साथ मुठभेड़ में लुहारी गांव निवासी पिंकू कुमार शनिवार रात शहीद हो गए थे।

शनिवार को शहीद का तिरंगे में लिपटा पार्थिव शरीर लेकर साथी जवान लुहारी पहुंचे तो अंतिम दर्शनों को हजारों की संख्या में लोग पहले ही मौजूद थे। जिनके भारत माता की जय, वंदेमातरम, शहीद पिंकू कुमार अमर रहे के जयघोष से पूरा वातावरण गूंज उठा। हर कोई शहीद के अंतिम दर्शनों को आतुर था।

शहीद के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल था। पत्नी कविता और मां कमलेश देवी पिंकू कुमार का पार्थिव शरीर देखकर बेसुध हो गई। बेटी शैली और अंजलि भी पिता के अंतिम दर्शनों के वक्त फफक कर रो पड़ीं।

परिजनों ने किसी तरह उन्हें संभाला। पिता जबर सिंह और भाई मनोज कुमार के आंसू भी पिंकू कुमार के अंतिम दर्शन के वक्त नहीं थम सके। ग्रामीणों ने उन्हें ढांढस बंधाया। सेना के जवानों ने शहीद को अंतिम विदाई दी।

नौ माह के बेटे ने दी मुखाग्नि तो रो पड़े सब
अपने पिता को मुखग्नि देते हुए नौ माह का अर्णव पूरे घटनाक्रम से अंजान रहा। उसे पता भी नहीं था कि उसके पापा अब कभी लौटकर नहीं आएंगे। पिंकू कुमार के भाई मनोज ने उसे गोद में लेकर पार्थिव शरीर को मुखाग्नि दिलवाई। यह देखकर वहां मौजूद सभी लोग रो पड़े।

लुहारी में नहीं मनाई गई दुल्हैंडी
शहीद पिंकू कुमार को श्रद्धांजलि देने के लिए ग्रामीणों ने दुल्हैंडी न मनाने का निर्णय लिया था। सोमवार को गांव में किसी ने रंग नहीं खेला। किसी घर में पकवान नहीं बने। हर कोई बस शहीद के अंतिम दर्शनों को और उन्हें श्रद्धांजलि देने को आतुर दिखाई दिया। ग्रामीणों का कहना था कि देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले पिंकू कुमार पर सभी को गर्व है।