मुजफ्फरनगर। बदलते सियासी समीकरणों के बीच भाजपा ने चरथावल विधानसभा से लोकसभा चुनाव का बिगुल बजा दिया है। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव के बाद से जिले में खिसकते जनाधार को रोकने के लिए खुद प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी नौ साल का रिपोर्ट कार्ड लेकर हाजिर हुए।
मुजफ्फरनगर दंगे के बाद पहले लोकसभा चुनाव 2014 और फिर विधानसभा चुनाव 2017 में भाजपा ने परचम लहराया था। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में वोटों का अंतर कम जरूर हुआ, लेकिन केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ. संजीव बालियान ने जीत दर्ज की थी। किसान आंदोलन के बाद हुए वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के हाथ से सीटें खिसकनी शुरू हो गई। सपा-रालोद और आसपा गठबंधन ने बुढ़ाना, चरथावल, पुरकाजी, मीरापुर सीट जीत ली। उप चुनाव में भाजपा के हाथ से खतौली भी निकल गई।
मुजफ्फरनगर लोकसभा की बात करें तो सरधना सीट पर भी सपा की जीत हुई। इसी साल हुए निकाय चुनाव के नतीजे भी भाजपा के लिए संतोषजनक नहीं कहे जा सकते। मुजफ्फरनगर पालिका को छोड़ दें तो भाजपा के सभी प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा।
लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी भाजपा की चिंता बढऩी लाजिमी है। बुधवार को चरथावल में विकास कार्यों के बहाने लोकसभा चुनाव का बिगुल भी बज उठा। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने सरकार का रिपोर्ट कार्ड पेश किया। प्रदेश अध्यक्ष का पूरा भाषण चुनाव पर केंद्रिंत रहा। विपक्ष के गठबंधन पर भी वह बरसे। केंद्रीय मंत्री डॉ. संजीव बालियान ने भी नौ साल के कार्य गिनाने का काम किया।
मंच से बुढ़ाना के पूर्व विधायक उमेश मलिक ने पार्टी के पूर्व विधायकों के नाम गिनाए। उन्होंने कहा कि इतने लोग पूर्व हो चुके हैं।
लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा के सामने इस बार सबसे बड़ी चुनौती अंर्तकलह थामने की रहेगी। टिकट बंटवारे में उपेक्षा से नाराजगी, चुनावों में हार की वजहों से खेमेबंदी का माहौल है, जिसे संभालने के लिए भाजपा को मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।