शामली। मुजफ्फरनगर जेल में बंद सपा विधायक नाहिद हसन ही हाईकोर्ट ने अमानत में खयानत के एक मामले में जमानत याचिका खारिज कर दी। इससे बाद नाहिद हसन को अब सुप्रीम कोर्ट की शरण लेनी पड़ेगी।

2019 में झिंझाना थानाक्षेत्र के गांव खेड़ी खुशनाम निवासी महिला ने गांव भूरा निवासी नवाब और कैराना से सपा विधायक नाहिद हसन के विरुद्ध अमानत में खयानत की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। फरवरी 2021 में तत्कालीन कोतवाली प्रभारी प्रेमवीर राणा ने नाहिद हसन और उनकी माता तबस्सुम बेगम सहित 40 आरोपियों के विरुद्ध गैंगस्टर का मुकदमा दर्ज किया था।

15 जनवरी 2022 को पुलिस ने नाहिद हसन को गिरफ्तार करके कैराना स्थित एमपी एमएलए कोर्ट में पेश किया था। जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में मुजफ्फरनगर जेल भेज दिया था। कैराना स्थित अदालत से नाहिद हसन की जमानत याचिका खारिज होने के बाद उनके अधिवक्ता ने गैंगस्टर और अमानत में खयानत के मुकदमे में हाई कोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी।

बुधवार को हाईकोर्ट ने 2019 के अमानत में खयानत के मुकदमे में नाहिद हसन की जमानत याचिका खारिज कर दी। इसके बाद उन्हें अब सुप्रीम कोर्ट की शरण लेनी पड़ेगी। नाहिद हसन के अधिवक्ता राशिद ने बताया कि उन्हें इसके बारे में अभी कोई जानकारी नहीं है।