पिछले दिनों केंद्र सरकार की ओर से बयान जारी किया गया कि अब तक 114 दिनों में वैक्सीन की 17 करोड़ डोज लगाई गई हैं, हालांकि लक्ष्य पूरा करने के लिए 60 करोड़ वैक्सीन डोज की जरूरत है। वहीं वैक्सीन उत्पादन करने वाली सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक अगस्त तक बढ़ाने की बात कह रही है। दोनों कंपनियों ने सरकार को सूचित किया कि अगस्त तक वे क्रमशः 10 करोड़ और 7.8 करोड़ डोजों को अपने उत्पादन को बढ़ाएंगे।

लगातार नीतियां बदलती रही मोदी सरकार
कोरोना टीकाकरण को लेकर केंद्र की लगातार बदल रही नीति‍यों के चलते भारत में टीकाकरण अभि‍यान कमजोर पड़ रहा है। केंद्र सरकार ने शुरू में कहा कि‍ टीके की खरीद राज्‍य सरकारें नहीं कर सकतीं, लेकि‍न बाद में कहा कि‍ राज्‍य सरकारें अपने स्‍तर से खरीद करें। साथ ही, भारत में बन रहे टीकों के लि‍ए राज्‍यों का कोटा भी सीमि‍त कर दि‍या। राज्‍यों ने जब ग्‍लोबल टेंडर के जरि‍ए यह कमी पाटने की कोशि‍श की तो कोई कंपनी सप्‍लाई के लि‍ए आगे नहीं आ रही।

भारत में कोरोना टीका बनाने से संबंधि‍त रि‍सर्च आदि‍ के लि‍ए केंद्र ने कंपनि‍यों को कोई पैसा नहीं दि‍या। अप्रैल में उत्‍पादन बढ़ाने के लि‍ए सीरम इंस्‍टीट्यूट ऑफ इंडि‍या को 3000 करोड़ और भारत बायोटेक को 1500 करोड़ रुपए एडवांस देने का ऐलान जरूर हुआ। फरवरी में बजट पेश करते हुए वि‍त्‍त मंत्री ने ऐलान कि‍या था कि‍ टीकाकरण के लि‍ए 35,000 करोड़ रुपए का प्रावधान रखा गया है। साथ ही, यह भी कहा गया था कि‍ जरूरत पड़ने पर और रकम दी जाएगी।

केंद्र सरकार जि‍स दर पर वैक्‍सीन (150 रुपए) खरीद रही है, उस दर से 35000 करोड़ रुपए में करीब 88 करोड़ लोगों को (सौ रुपए प्रति‍ व्‍यकि्‍त‍ अत‍रि‍कि्‍त खर्च जोड़ कर भी) दोनों डोज दी जा सकती है। लेकि‍न, केंद्र सरकार ने हि‍साब इतना सीधा नहीं रहने दि‍या है। 10 मई को वि‍त्‍त मंत्रालय ने स्‍‍‍‍‍पष्‍ट कि‍या कि‍ 35,000 करोड़ का जो प्रावधान कि‍या गया था, उससे टीका खरीद कर राज्‍यों को दि‍या जा रहा है। यह रकम राज्‍यों को हस्‍तांतरण के मद में रखा गया था और इसका यह मतलब नहीं कि‍ केंद्र इस रकम को खर्च नहीं कर सकता। पर एक ही महीने में फिर पलट गई मोदी सरकार की नीति, जानिए फिर क्या कहा, नीचे क्लिक कर अगले पेज पर जाएं ओर पढें पूरी खबर