
मुजफ्फरनगर। जनपद में पीड़िता के परिवार ने कहा कि अदालत ने इंसाफ किया। फांसी की सजा सुनाई जाती तो और भी अच्छा होता। उन्होंने कहा कि ऐसे दरिंदे को समाज में रहने और जीने का हक नहीं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार आज सुनवाई के दौरान पीड़ित परिवार के लोग भी अदालत पहुंचे। उनका कहना था कि अदालत ने इंसाफ कर दिया है। वह चाहते थे कि दोषी को फांसी की सजा होनी चाहिए। मां-बाप बच्चे को शिक्षकों के भरोसे ही स्कूल भेजते हैं, अगर बच्चों के साथ ऐसा किया जाएगा तो समाज कैसे सहन करेगा। तेजी से मामले का निस्तारण किया। अदालत के इंसाफ से संतुष्ट है। इस तरह के शिक्षकों को जितनी सजा दी जाए वह कम है।
मुजफ्फरनगर में बुढ़ाना क्षेत्र के मदरसे में नौ साल की मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म के मामले में दोषी हाफिज इरफान को आजीवन कारावास और 50 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई गई। विशेष अपर सत्र न्यायालय (पॉक्सो एक्ट) के पीठासीन अधिकारी बाबूराम ने फैसला सुनाया। अर्थदंड की धनराशि क्षतिपूर्ति के तौर पर पीड़िता को दी जाएगी। अदालत ने 40 दिन में मामले की सुनवाई पूरी करते हुए दोषी को सजा सुनाई है।
डीजीसी राजीव शर्मा, विशेष लोक अभियोजक दिनेश कुमार शर्मा और मनमोहन वर्मा ने बताया कि 23 सितंबर को बुढ़ाना क्षेत्र के मदरसे में वारदात हुई थी। हाफिज इरफान ने करीब नौ साल की मासूम बच्ची को झाड़ू लगाने के बहाने कमरे में बुलाया और उसके साथ दुष्कर्म किया। पीड़िता ने घर पहुंचकर मामले की जानकारी परिजनों को दी। उन्होंने पीड़िता का उपचार कराया। पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया था।
जांच के बाद आरोप पत्र दाखिल किया गया। प्रकरण की सुनवाई विशेष अपर सत्र न्यायालय पॉक्सो एक्ट में हुई। आरोप पत्र दाखिल होने के करीब 40 दिन बाद आरोपी इरफान पर सोमवार को दोष सिद्ध हो गया था। मंगलवार को अदालत ने दोषी बवाना गांव निवासी इरफान को धारा 06 पॉक्सो एक्ट के तहत आजीवन कारावास और 50 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड जमा नहीं करने पर अभियुक्त को छह माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।
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