संयुक्त रोजगार समिति के बैनर तले देश में खाली पड़े 60 लाख सरकारी कर्मचारियों के पद अविलंब भरने की मांग करते हुए सामूहिक उपवास शुरू किया गया। राष्ट्रव्यापी रोजगार नीति कानून संसद में पास कर सभी देश वासियों को रोजगार की गारंटी दिये जाने की मांग भी की गई।
शनिवार को भारतीय मानव अधिकार संरक्षक संघ और संयुक्त रोजगार आंदोलन समिति के तत्वावधान में सामूहिक उपवास का आयोजन कलक्ट्रेट में किया गया। डीएम कार्यालय के सामने धरना और उपवास रखकर बेरोजगारी की समस्या का निदान करने की मांग सरकार से की गई। संयुक्त रोजगार आंदोलन समिति के बैनर तले प्रदर्शन किया गया। भारतीय मानव अधिकार संरक्षण संघ की राष्ट्रीय महासचिव मिथलेश गोयल ने कहा कि देश में बेराेजगारी चरम पर पहुंच रह है। पढ़े लिखे युवा वर्ग को नौकरी नहीं लग रही है।
देश भर में सरकारी कार्यालयों में 60 लाख से अधिक पद खाली चल रहे हैं, लेकिन सरकार उन्हें नहीं भर रही। कहा कि युवा इधर उधर भटक रहे हैं। सरकार ने सरकारी कार्यालयों में भी ठेकेदारी प्रथा लागू कर दी है। जहां काम के बदले मिलने वाला मानदेय अत्यधिक कम है। जिससे कोई भी नागरिक सम्मानजनक जीवन यापन नहीं कर सकता। इन हालात में देश का युवा परेशान हैं। देश की आधी आबादी महिलाओं की आर्थिक स्थिति भी खराब होती जा रही है। सरकार के पास के महिलाओं के लिए भी कोई कार्ययोजना नहीं है। इस मौके पर धरने में शामिल देश बात फाउंडेशन से जुड़े लोगों ने भी खाली पड़े पदों के सापेक्ष नियुक्तियां करने की मांग सरकार से की। एड. नरेन्द्र मित्तल, पवन सिंघल, दीपांशु दीक्षित, डा. राहित आदि शामिल रहे।