मुजफ्फरनगर| मुजफ्फरनगर में पांच साल पुराने सामूहिक दुष्कर्म के मुकदमे में दोषी पाए जाने पर वार्ड 17 के जिला पंचायत सदस्य इरशाद जाट को अदालत ने तीस साल कैद की सजा सुनाई है। अपर सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट कोर्ट संख्या-एक के पीठासीन अधिकारी रितिश सचदेवा ने फैसला सुनाया।
पीड़िता ने आरोप लगाया था कि पांच मार्च 2018 को आरोपी ने शहर कोतवाली क्षेत्र के आवास पर बुलाकर अपने साथी के साथ मिलकर तमंचे से डराकर दुष्कर्म किया। वीडियो वायरल करने की धमकी दी थी। पीड़िता ने अगले दिन पुलिस को जानकारी दी, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। कोर्ट के आदेश पर मुकदमा दर्ज कराया गया। डीजीसी फौजदारी राजीव शर्मा, वरिष्ठ अधिवक्ता सुरेंद्र शर्मा और एडीजीसी कुलदीप पुंडीर ने बताया कि पुलिस ने जांच के बाद इरशाद के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया।
प्रकरण की सुनवाई अपर सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट कोर्ट संख्या-एक में हुई। अभियोजन ने सात गवाह पेश किए। शुक्रवार को जिला पंचायत सदस्य को दोषी मानते हुए सामूहिक दुष्कर्म में 30 साल कैद और 40 हजार रुपये अर्थदंड, धारा 506 में दो साल कारावास, धारा 342 में एक साल कारावास की सजा सुनाई गई।
गंभीर प्रकरण में पुलिस की लापरवाही सामने आई है। पहले पुलिस ने पीडि़ता का मुकदमा दर्ज नहीं किया। इसके बाद जांच में इरशाद के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल कर दिया, लेकिन दूसरे आरोपी के खिलाफ पांच साल बाद भी विवेचना चल रही है।