मुजफ्फरनगर। बेसिक शिक्षा विभाग के करीब 128 शिक्षकों के वेतन निर्धारण और पदोन्नति में गड़बड़ाझाला सामने आया है। गलत वेतन निर्धारण से शिक्षकों के खाते में 1.66 करोड़ रुपये पहुंच गए, जिनकी वसूली की तैयारी है। पूरा मामला करीब आठ करोड़ रुपये की बंदरबांट का है। बीएसए शुभम शुक्ला ने वित्त एवं लेखाधिकारी की अध्यक्षता में बनी समिति से जांच शुरू कराई है।
बेसिक शिक्षा में छठे वेतनमान निर्धारण में त्रुटि, मनमाने ढंग से कनिष्ठ को वरिष्ठ के बराबर वेतन दिए जाने और नोशनल (काल्पनिक) पदोन्नति में खेल किया गया। शुरूआती जांच में ही करीब 128 शिक्षकों के खाते में आठ करोड़ रुपये गलत तरीके से भेजे जाने का अनुमान है। गलत वेतन निर्धारण के 58 मामलों में एक करोड़ 66 लाख 66 हजार 221 रुपये की वसूली किए जाने की तैयारी है। इसके अलावा फर्जी नियुक्ति, जीपीएफ और जूते-मौजे के वितरण की भी जांच शुरू करा दी गई है। सहायक लेखाधिकारी प्रवीण कुमार, धर्मेंद्र कुमार और जुबैदा खातून को जांच दी गई है। सहायक लेखा परीक्षा अधिकारी प्रवीण कुमार का कहना है कि जांच चल रही है।
बेसिक शिक्षा अधिकारी शुभम शुक्ला ने जांच शुरू कराई है, लेकिन विभाग जांच टीम को अभिलेख उपलब्ध नहीं करा रहा है। लेखा विभाग ने पत्र लिखा है, लेकिन जूते-मौजों का हिसाब नहीं दिया गया है।
त्रुटिपूर्ण वेतन निर्धारण में विकास खंड से लेकर जिला स्तर तक के अधिकारियों की रिपेार्ट लगती है। ऐसे में सवाल यह है कि शिक्षकों का त्रुटिपूर्ण वेतन निर्धारण कैसे हुआ। बेसिक शिक्षा और लेखा विभाग में किस तरह रिपोर्ट तैयार की गई। शिक्षकों से वसूली की तैयारी है, लेकिन सवाल यह है कि करोड़ों रुपये की बंदरबांट के लिए जिम्मेदार कौन है।