मुजफ्फरनगर। नगरपालिका परिषद् में चल रहे शह और मात के खेल में एक बार फिर से चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल का रुतबा कायम हुआ है। उनके द्वारा सभासदों के बहुमत के आधार पर पालिका से कार्यमुक्त किये गये बडबोले स्वास्थ्य अधिकारी डा. अतुल कुमार को आखिरकार जाना ही पड़ा। सीएमओ द्वारा स्वास्थ्य अधिकारी का पालिका से तबादला कर दिये जाने के बाद इस मामले का पटाक्षेप माना जा रहा था, लेकिन सभासद अपने सम्मान को बचाने के लिए अभी भी संघर्ष की राह पर अडिग खड़े नजर आ रहे हैं। सभासदों ने साफ कर दिया है कि एफआईआर रद्द होने तक उनका संघर्ष जारी रहेगा। इसके साथ ही विशेष बोर्ड बैठक बुलाने की जिद भी अभी कायम है।

बता दें कि नगरपालिका परिषद् में 1 नवंबर की बोर्ड मीटिंग के दौरान हुए प्रकरण में स्वास्थ्य अधिकारी डा. अतुल कुमार ने सभासद प्रवीण पीटर और सभासद विपुल भटनागर के खिलाफ शहर कोतवाली में एससी एसटी एक्ट के साथ ही संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज करा दिया गया था। पुलिस ने इस मामले में सभासद प्रवीण पीटर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। इसके बाद चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल सभासदों के साथ इस मामले में मुखर हो गई थी और सभासदों ने सामूहिक इस्तीफे की पेशकश डीएम को कर दी। इसके बाद 33 सभासदों ने एकजुट होकर चेयरपर्सन से पालिका की विशेष बोर्ड बैठक बुलाने और उसमें अधिशासी अधिकारी हेमराज सिंह तथा स्वास्थ्य अधिकारी डा. अतुल कुमार के खिलाफ निलंबन और निंदा प्रस्ताव लाने की मांग की गई। इसके लिए चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल ने ईओ को दो दिन में एजेंडा तैयार कर प्रस्तुत करने के निर्देश दिेय गये है, लेकिन ईओ द्वारा अभी तक भी एजेंडा तैयार नहीं किया गया है। इसी बीच सीएमओ डा. एमएस फौजदार ने डा. अतुल कुमार का पालिका से तबादला कर दिया। इस तबादले के बाद भी पालिका में घमासान बादस्तूर बना हुआ है।

सभासद ईओ और स्वास्थ्य अधिकारी के खिलाफ विशेष बोर्ड बुलाये जाने की अपनी मांग पर अडिग हैं। जबकि इस मामले में भाजपा के एक बड़े नेता ने चेयरपर्सन को फोन करते हुए पार्टी की बदनामी का हवाला देकर और डा. अतुल कुमार को हटवाने का श्रेय लेते हुए बोर्ड बैठक का विचार त्यागने का आग्रह किया है, लेकिन चेयरपर्सन सभासदों के मान सम्मान की खातिर बोर्ड बैठक बुलाने पर अभी अडिग हैं। वहीं सभासदों का कहना है कि डा. अतुल का तबादला विषय नहीं था। उसको तो हमने बहुमत से प्रस्ताव लाकर पालिका से कार्यमुक्त कर दिया है, मामला झूठी एफआईआर का है। जब तक एफआईआर रद्द नहीं होती यह संघर्ष नहीं छोड़ा जायेगा।