सहारनपुर।   सहारनपुर में अधिवक्ता कर्मवीर छाबड़ा हत्याकांड में अदालत ने 200 पेज के आदेश में पांचों दोषियों के मृत्युदंड की गाथा लिखी है। पूरे मामले में करीब 100 से ज्यादा तारीख लगी। फांसी की सजा में सबसे अहम अधिवक्ता के पिता प्रॉपर्टी कारोबारी सतपाल छाबड़ा की गवाही रही। उनकी आंखों के सामने ही बेटे को चाकू और कृपाण से गोद-गोदकर मौत के घाट उतारा गया था। हमले में भी वह भी घायल हुए थे।

दरअसल, जिस समय हमला हुआ उस वक्त सतपाल छाबड़ा भी साथ में थे। किसी तरह उनकी जान बच गई थी। पूरे मामले में 18 गवाह पेश हुए। सतपाल छाबड़ा के अलावा दूसरी जो गवाही अहम रही वह थी मृतक अधिवक्ता कर्मवीर छाबड़ा के ससुर अनिल कुमार सेठी की। ससुर ने कहा था कि मेरे सामने दामाद की हत्या हुई थी। दोनों की गवाही पर ही केस टिका हुआ था।

हालांकि, आरोपी पक्ष हर बार नकारता रहा कि पुरानी रंजिश के चलते उन्हें फंसाया जा रहा है, लेकिन साक्ष्यों और गवाहों ने उन्हें फांसी के तख्ते तक पहुंचा दिया। पांचों आरोपी एक ही परिवार के सदस्य है, जो कई साल से हाईकोर्ट से जमानत पर चल रहे थे। मंगलवार को मामले में तारीख लगी थी, जिसमें पांचों आरोपी पेश हुए थे, जैसे ही पांचों आरोपियों को दोषी करार दिया गया तभी पुलिस ने अदालत से ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया था।

जिस समय दोषियों को फांसी की सजा सुनाई गई, सभी के चेहरे पर पसीने छूट गए। कटघरे में खड़ा एक दोषी तुरंत नीचे बैठ गया। जिन्होंने अदालत से रहम की गुहार भी लगाई, लेकिन अदालत का फैसला आते ही कचहरी में सुरक्षा बढ़ा दी गई और कड़ी सुरक्षा के बीच मीडिया से दूर रखते हुए गाड़ी में बैठाकर जेल में भेज दिए गए। आरोपी के अधिवक्ता का कहना है कि अदालत का फैसला मान्य है, लेकिन हम इससे संतुष्ट नहीं है। यह ऐसा केस नहीं था जिसमें फांसी की सजा का आदेश दिया जाए। इस फैसले को लेकर हाईकोर्ट में अपील दायर की जाएगी।

अदालत ने दोषियों पर डेढ़-डेढ़ लाख का अर्थदंड भी लगाया है। अदालत ने इस पर भी टिप्पणी करते हुए कहा कि अभियुक्तों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति अच्छी है, जिस कारण अभियुक्तगण अर्थदंड जमा करने में सक्षम है। अर्थदंड से प्राप्त होने वाली रकम की 50 प्रतिशत धनराशि मृतक कर्मवीर की पत्नी को छह माह के अंदर दिलाई जाए।

26 दिसंबर 2015 की शाम कर्मवीर और उनके पिता सतपाल छाबड़ा अंबाला रोड स्थित अपनी प्रिंटिंग प्रेस के कार्यालय में बैठे थे। दोषियों से प्लाट खरीदने को लेकर विवाद चल रहा था। इसी रंजिश में कार्यालय से जाते समय कर्मवीर और सतपाल छाबड़ा पर कृपाण व धारदार हथियारों से हमला कर दिया था। कर्मवीर की मौके पर मौत हुई थी, जबकि सतपाल छाबड़ा गंभीर रूप से घायल हुए थे।