सहारनपुर. सहारनपुर में अजीब केस सामने आया है। RTI में खुलासा हुआ है कि पूर्व एमएलसी हाजी इकबाल और उनके छोटे भाई पूर्व एमएलसी महमूद अली फर्जी दस्तावेजों के आधार पर चुनाव लड़े थे। इन लोगों ने स्कूल के फर्जी शैक्षिक दस्तावेज लगाए थे। जिस स्कूल से शिक्षा प्राप्त दर्शाया है, वह दस साल बाद खुला था। दोनों भाई कार्यकाल पूर्ण कर पेंशन ले रहे हैं। जिस पर कार्रवाई की जा सकती है।

2010 में लड़ा था इकबाल ने चुनाव
बसपा के टिकट पर हाजी इकबाल ने 2010 में विधान परिषद (MLC) का चुनाव लड़ा था। खनन से कमाई हुई संपत्ति से वह चुनाव भी जीत गए थे। हाजी इकबाल ने 1987 में आठवीं पास की शैक्षित योग्यता प्रमाण पत्र जिस स्कूल का लगाया है। उसकी स्थापना ही 1996 में हुई थी।

निर्वाचन आयोग को गुमराह कर फर्जी शैक्षित योग्यता का सर्टिफिकेट शपथ पत्र में जमा किया था। बसपा सरकार होने और रसूख के कारण संबंधित रिटर्निंग ऑफिसर ने भी इसकी जांच भी नहीं कराई थी। विधान परिषद का छह साल का कार्यकाल पूर्ण करने के बाद अपने भाई महमूद अली को विधान परिषद का चुनाव लड़ाया।

2016 में छोटे भाई को लड़ाया था चुनाव
2016 में सपा सरकार में खनन माफिया हाजी इकबाल ने अपने छोटे भाई महमूद अली को MLC का चुनाव लड़ाया। नामांकन पत्र में महमूद अली ने मेरठ के स्वामी विवेकानंद शुभारती विश्वविद्यालय से BBA डिग्री धारक दर्शाया था। महमूद अली ने नामांकन पत्र में बताया था कि उसने 2013 में शुभारती विश्वविद्यालय से BBA पास किया है।

लेकिन, जब इस बारे में विश्वविद्यालय से RTI में पूछा गया तो विश्वविद्यालय ने महमूद अली निवासी मिर्जापुर जिला सहारनपुर नाम से किसी भी छात्र ने 2013 या अन्य वर्ष में BBA पास नहीं किया है, ऐसा जवाब दिया। दोनों भाइयों ने 12 साल तक सरकारी सुविधाओं का जमकर लाभ उठाया। SIT की जांच में रोज नए-नए खुलासे हो रहे हैं। हाजी इकबाल फिलहाल पुलिस की गिरफ्त से दूर है।

सीएम मायावती हुईं थी मेहरबान
बसपा सुप्रीमो मायावती 2007 में हाजी इकबाल पर मेहबान हुई। जिसके बाद हाजी इकबाल ने सहारनपुर सहित हरियाणा राज्य में खनन का कारोबार खड़ा कर लिया। यमुना नदी का सीना चीर कर अवैध खनन को अंजाम दिया। यहीं नहीं NGT और सरकारी नियमों को ताक पर रखा गया। यमुना नदी का सीना 100 से 125 फीट तक की गहराई तक चीर दिया।

कुछ ही साल में बेनामी संपत्ति का बेताब बादशाह बन गया। बसपा शासनकाल में 21 चीनी मिलों को औने-पौने दामों में बेचा गया, जिसमें से सात चीनी मिलों को इकबाल ने औने-पौने दामों में खरीद लिया। खनन के काले कारोबार से काली कमाई कर 10 हजार करोड़ से ज्यादा की संपत्ति अर्जित की।

इकबाल ने 111 फर्जी कंपनियां बनाकर मनी लॉन्ड्रिंग की गई। इस खेल में पूर्व जिला अधिकारी और एसडीएम भी शामिल थे। बता दें कि सहारनपुर में खनन माफिया हाजी इकबाल उर्फ बाल्ला के साथ उसके उसके परिजनों की भी मुश्किलें बढ़ती जा रही है। 21 करोड़ की संपत्ति कुर्क होने के बाद पुलिस अन्य मामलों की जांच में भी जुट गई है।