नई दिल्ली। देश में कई राज्यों में सर्दी का आगाज हो चुका है। अब बारिश का दौर थम चुका है। लेकिन अभी भी कई राज्यों में बेमौसम बारिश का खतरा मंडरा रहा है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने कहा कि अगले दो दिन यानी 1 और 2 नवंबर को 6 राज्‍यों में बहुत भारी बारिश हो सकती है।

मौसम विभाग ने असम और मेघालय, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा में भारी बारिश की संभावना जताई है। इन राज्‍यों में बारिश के अलावा तेज हवाएं भी चल सकती हैं। पूर्वी पूर्व और बंगाल की पूर्वोत्तर खाड़ी से सटे उत्तरपूर्व और पूर्वोत्तर में मौसम बदलने की संभावना है।

बंगाल की पूर्व-पूर्वी खाड़ी से सटे उत्तरपूर्व 40-50 किमी प्रति घंटा की रफ्तार हवा चलेगी। मछुआरों को सलाह दी गई है कि वे इस क्षेत्र में न जाएं। इस समय एक चक्रवाती प्रभाव तमिलनाडु तट पर और बंगाल के दक्षिण-पश्चिम खाड़ी के पास सक्रिय हो रहा है। जबकि दूसरा चक्रवाती प्रभाव दक्षिण-पूर्व अरब सागर में केरल तट पर निचले और मध्य स्तर पर स्थित है।

यहां ऐसा रहेगा मौसम
मानसून सीजन खत्म होने के बाद अब ठंड की शुरुआर हो चुकी है। हवा का रूख बदलकर उत्तर से पश्चिम की तरफ हो गया है। उत्तर की हवा के साथ जम्मू कश्मीर से ठंड आने लगी है। इससे न्यूनतम तापमान में गिरावट हो रही है। इसके अलावा अधिकतम तापमान भी धीरे-धीरे कम होने लगा है। दीपावली के बाद से दिन के तापमान में भी तेजी से गिरावट आ सकती है। पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होने के कारण जम्मू कश्मीर में बर्फबारी के दौर की शुरुआत होगी। इससे दिन में भी सर्दी बढ़ जाएगी। शनिवार को न्यूनतम तापमान सामान्य से 1.8 डिग्री सेल्सियस कम रहा। हवा में नमी 75 प्रतिशत रही।

उत्‍तर प्रदेश में सर्दी और धुंध बढ़ने की संभावना
मौसम में बदलाव होने लगा है और प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है। इसके कारण नवंबर में धुंध छा सकती है, इससे दिन भर अंधेरा छाया रहेगा। अधिकतम और न्यूनतम तापमान में भी गिरावट आएगी। विशेषज्ञ के मुताबिक, नवंबर में सुबह और रात के तापमान में लगातार गिरावट आएगी। मौसम विभाग का पूर्वानुमान जताया है कि नवंबर में न्यूनतम तापमान 12 से 15 डिग्री सेल्सियस के बीच में रहेगा।

इस साल पड़ेगी की कड़ाके की ठंड
श्रीनगर में तापमान शून्य के पास पहुंचने लगा है और कड़ाके की सर्दी पड़ने लगी है। इस साल सर्दियों की शुरुआत हो चुकी है। सर्दी का यह मौसम लंबे समय तक जारी रहने की संभावना है। सकता है। इस साल कड़ाके की सर्दी पड़ सकती है और इन सब के लिए मुख्यतः ला नीना के प्रभाव माना जा रहा है।