मुजफ्फरनगर। रेल रोकने के मामले में राज्यमंत्री कपिल देव अग्रवाल समेत 7 आरोपी कोर्ट में पेश हुए। कोर्ट में सभी ने 313 सीआरपीसी के तहत अपने बयान दर्ज कराए। इसी मामले में नामजद भाजपा जिलाध्यक्ष विजय शुक्ला व तीन अन्य आरोपियों ने कोर्ट में सरेंडर कर गैर जमानती वारंट रिकॉल कराए। पेश न होने पर कोर्ट ने हाज़री माफी के प्रार्थना पत्र को निरस्त करते हुए भाजपा जिलाध्यक्ष और पूर्व विधायक सहित चार लोगों के गिरफ्तारी वारंट जारी किये थे।
वर्ष 2012 में केन्द्र सरकार पर किसान विरोधी नीतियों को लेकर भाजपा कार्यकर्ताओ ने रेल रोकने की घोषणा की थी। भाजपा नेताओं ने प्रदर्शन करते हुए रेलवे स्टेशन पर जाकर ट्रैन रोकी, जिसके बाद आरपीएफ ने रेलवे एक्ट की धाराओं में मौजूदा राज्यमंत्री कपिल देव अग्रवाल, मौजूदा भाजपा जिलाध्यक्ष विजय शुक्ला, पूर्व विधायक उमेश मलिक, पवन तरार, सुनील तायल, भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष यशपाल पंवार, पूर्व विधायक अशोक कंसल और वैभव त्यागी सहित 11 आरोपियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इस मामले की सुनवाई सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट के न्यायाधीश मयंक जायसवाल की कोर्ट में चल रही है। बुधवार को उक्त मुकदमे में आरोपियों के कोर्ट में 313 सीआरपीसी के बयान दर्ज होने थे, लेकिन भाजपा जिलाध्यक्ष विजय शुक्ला, पूर्व विधायक उमेश मलिक और सुनील मित्तल तथा पवन तरार कोर्ट में पेश नहीं हुए थे। उनके अधिवक्ता की और से कोर्ट में हाजिरी माफी का प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया गया था। जिसे कोर्ट ने अस्वीकार करते हुए चारों के गैर जमानती वारंट जारी कर सुनवाई के लिए 21 अक्टूबर की तिथि निय त की थी। शुक्रवार को इस मामले में आरोपी राज्यमंत्री कपिल देव अग्रवाल, विधायक अशोक कंसल, भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष यशपाल पंवार और भाजपा युवा नेता वैभव त्यागी कोर्ट में पेश हुए। वहीं भाजपा जिलाध्यक्ष विजय शुक्ला, पूर्व विधायक उमेश मलिक और सुनील मत्तिल तथा पवन तरार ने सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट में सरेंडर कर अपने गैर जमानती वारंट रिकॉल कराए।