मुजफ्फरनगर। खापों के गढ़ वाली बुढ़ाना विधानसभा सीट पर इस बार भाजपा की राह मुश्किलों भरी हो गई है। सपा-रालोद गठबंधन के प्रदर्शन से भाजपा का गणित गड़बड़ा रहा है। सीट पर भाजपा के लिए पिछला प्रदर्शन दोहराने की चुनौती है।
मतदान के दिन किसान आंदोलन का सबसे अधिक असर बुढ़ाना पर ही नजर आया है। 2017 के मुकाबले इस पर जाट मतों की चाल बदली हुई नजर आई, जिससे भाजपा में बेचैनी का माहौल है। जिले की सबसे बड़ी विधानसभा में तीन लाख 75 हजार 73 मतदाता है, जिनमें से दो लाख 54 हजार 178 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया है। सीट पर इस बार 67.76 प्रतिशत मतदान हुआ है, जबकि 2017 में दो लाख 39 हजार मतदाताओं ने वोट डाले थे।
सीट पर मुस्लिम और जाट मतदाता सबसे अधिक है, जबकि भाजपा सवर्ण और अति पिछड़े मतदाताओं के बेस वोट बैंक के सहारे चुनाव मैदान में थी। पिछले चुनाव में जाट बूथों पर भाजपा को अधिक वोट मिले थे। देखने वाली बात यह होगी कि इस बार भाजपा ने जाट मतों में कितनी सेंधमारी की है। बसपा के हाजी अनीस कितने दलित और कितने मुस्लिम मतदाता ले पाते हैं। कांग्रेस के देवेेंद्र कश्यप के हिस्से में सजातीय मत अधिक आए तो यह भी भाजपा के लिए मुश्किल भरा होगा।