त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में भारतीय जनता पार्टी जिला पंचायत में तय लक्ष्य 80 फीसदी सीटों को नहीं भेद सकी। माना जा रहा कि कमजोर रणनीति और किसान आंदोलन की तपिश से वेस्ट यूपी में कमल एक तरह से मुरझा गया। किसान बेल्ट मेरठ, बागपत, सहारनपुर, शामली, मथुरा, अलीगढ़ आदि जिलों में बीजेपी चुनाव में काफी कम सीट हासिल कर पाई। सियासी जानकार इस बदलाव को बीजेपी के लिए अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में खतरे के संकेत के तौर पर देख रहे हैं।
पंचायत चुनाव को सत्तारूढ़ दल बीजेपी और दूसरी पार्टियां विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल बता रही थीं। सूत्रों के अनुसार, बगावती तेवर, विधायकों की पसंद को तरजीह देना, संगठन और जनप्रतिनिधियों में तालमेल के अभाव में टारगेट भेदने में बीजेपी चूक गई। किसान आंदोलन के चलते किसानों में उपजे आक्रोश ने भाजपा की राजनीतिक जमीन खिसकाने में अहम भूमिका निभाई।
वेस्ट यूपी की राजधानी कहे जाने वाले जिले मेरठ में बीजेपी को झटका लगा है। 33 वॉर्डों में से बीजेपी समर्थित सिर्फ छह कैंडिडेट जीते। एसपी के सात, बीएसपी के नौ और आरएलडी के छह कैंडिडेट को जीत मिली।
मुजफ्फरनगर में जरूर बीजेपी को थोड़ी राहत दिखी। यहां जिला पंचायत की 43 सीटों में से बीजेपी को 13, आरएलडी को 3, बीएसपी को 3, आजाद समाज पार्टी को 6 और अन्य को 18 सीटों पर जीत मिली। एसपी का यहां खाता नहीं खुला।
वहीं, बिजनौर में एसपी और आरएलडी गठबंधन ने बीजेपी को पछाड़ दिया। एसपी को 20, आरएलडी को तीन, किसान कैंडिडेट को दो, बीएसपी को 10 और बीजेपी को आठ सीटें मिली हैं। बाकी सीटें निर्दलीय के खाते में चली गई। नीचे क्लिक कर अगले पेज पर जाएं ओर जानें शामली, सहानपुर, बागपत में क्या रहा भाजपा ओर दूसरी पार्टियों का हाल