बड़ौत (बागपत)। हत्यारोपी रजत प्रेमिका के प्यार में इस इस कदर पागल हो गया था कि उसे नौ महीने तक अपने पेट में रखने वाली मां की आवाज भी नहीं सुनाई दी। रजत के सिर पर खून सवार था। पहले उसने बेल्ट से फंदा बनाया और फिर गले में डालकर अपनी मां को तब तक गला दबाता रहा, जब तक उसने दम नहीं तोड़ दिया। मुनेश देवी रजत से बहुत प्यार करती थी। रजत भी पढ़ने लिखने में काफी होनहार था और परिवार में सब का लाडला था। उसका छोटा भाई चिराग भी परिवार का लाडला है। दिल्ली सिविल तैयारी के दौरान विशेष समुदाय की युवती से प्रेम प्रसंग होने के बाद धीरे-धीरे रजत का व्यवहार मां व परिवार के लोगों के प्रति बदलने लगा था। उसको नशे की लत लग गई थी। बेटे की ऐसी हालत को देख कई बार मां ने प्यार से उसको समझाने का प्रयास किया, लेकिन वह समझने की बजाय झगड़ा करने लगा था। जिसकी वजह से परिवार में तनावपूर्ण स्थिति बन गई थी।

पिता ने भी कई बार रजत को समझाने का प्रयास किया, लेकिन रजत समझने को तैयार नहीं हुआ। जिसके बाद अंजाम ऐसा हुआ कि कोई सोच भी नहीं सकता था। नौ महीने तक अपनी कोख में रखने व लाड प्यार से पाल-पोस कर रजत को बड़ा करने वाली मां तड़पती रही, लेकिन रजत को प्रेम का ऐसा नशा चढ़ा था कि उसे अपनी मां की तक नहीं सुनाई थी और मां को मौत के घाट उतार कर ही दम लिया।