मेरठ।  नमो भारत रैपिड ट्रेन के मेरठ साउथ तक संचालन के बाद अब मेट्रो ने भी शहर में दस्तक दे दी है। रविवार को मेट्रो का ट्रायल रन शुरू हो गया। मेरठ साउथ स्टेशन (भूड़बराल) से मेरठ सेंट्रल स्टेशन (फुटबाल चौराहा) तक 15 किमी. से 40 किमी. प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ाया गया।

मेट्रो के शहर में 13 स्टेशन होंगे। मेट्रो नमो भारत रैपिड के चार स्टेशन पर रुकेगी। मेट्रो के चलने से शहर में एक छोर से दूसरे छोर तक आने-जाने व नमो भारत स्टेशन तक पहुंचने में मदद मिलेगी।

मेरठ साउथ से मेरठ सेंट्रल स्टेशन के ठीक पहले तक मेरठ मेट्रो की विभिन्न ट्रेनों को अलग-अलग गति पर चलाकर उनका परीक्षण किया गया। ट्रायल रन की प्रक्रिया में मेरठ मेट्रो की ट्रेनों का ट्रैक और ट्रैक्शन के साथ परीक्षण किया जा रहा है। इस दौरान ट्रेन कंट्रोल मैनेजमेंट सिस्टम (टीसीएमएस) के तहत आरंभ में मैन्यूअल तरीके से ट्रेन को ऑपरेट किया जा रहा है।

ट्रेन को मेरठ साउथ स्टेशन से बहुत धीमी रफ्तार में मेरठ सेंट्रल के भूमिगत खंड से ठीक पहले तक लाया गया। यहां से वापसी में रफ्तार को थोड़ा बढ़ाते हुए मेरठ साउथ तक लाया गया। इन ट्रेनों को 40 किमी प्रति घंटे से लेकर 135 किमी प्रति घंटे की डिजाइन गति पर चलाकर परीक्षण किया जा रहा है। अब लगातार ट्रेन की रफ्तार बढ़ाकर ट्रायल जारी रहेगा।

ट्रायल रन के दौरान, अंतरराष्ट्रीय मानक प्रक्रिया के अनुसार ट्रेनों के विभिन्न प्रकार के परीक्षण किए जाते हैं। इनमें यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, ट्रेनों में सैंडबैग भरकर वजन परीक्षण करना और ट्रेनों की गतिशील परिस्थितियों में सुरक्षा संबंधी जांच शामिल है।

साथ ही, इस प्रक्रिया में यात्रियों के लिए राइडिंग कम्फर्ट या आरामपूर्वक यात्रा का भी मूल्यांकन किया जाता है। इसके लिए ट्रेनों को कॉरिडोर में ट्रैक पर उपलब्ध विभिन्न मोड़ पर चलाया जाता है।

इसके अलावा, सिग्नलिंग, प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर (पीएसडी), ओवरहेड सप्लाई सिस्टम आदि जैसे विभिन्न उप-प्रणालियों के साथ इसके समन्वय को सत्यापित करने के लिए ट्रेन के एकीकृत प्रदर्शन की जांच करने हेतु कुछ परीक्षण भी किए जाते हैं।

मेरठ मेट्रो के लिए तीन कोच वाले 12 ट्रेनसेट का निर्माण गुजरात के सावली स्थित मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट में किया गया है। इनमें से 10 ट्रेनसेट दुहाई स्थित डिपो पहुंच चुके हैं। मेरठ मेट्रो के डिजाइन में यात्रियों के लिए अधिकतम आराम और सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई है।

ट्रेनें वातानुकूलित हैं। इनमें एर्गोनॉमिक रूप से डिजाइन की गई दो गुना दो ट्रांसवर्स और लंबवत (लांगिट्यूडनल) बैठने की व्यवस्था है। इसमें सामान रखने की रैक, ग्रैब हैंडल, यूएसबी डिवाइस चार्जिंग सुविधा और यात्रियों के लिए आवश्यक अन्य कई सुविधाएं प्रदान की गई हैं।

भारत में पहली बार सेमी-हाई स्पीड नमो भारत ट्रेनों के इंफ्रास्ट्रक्चर पर ही मेरठ में देश की सबसे तेज रफ्तार मेट्रो का परिचालन किया जाएगा। मेरठ मेट्रो कॉरिडोर की कुल लंबाई 23 किलोमीटर है। इसमें 18 किमी एलिवेटेड और 5 किमी हिस्सा अंडरग्राउंड है।

तीन भूमिगत स्टेशन समेत कुल 13 स्टेशन बनाए जा रहे हैं। इनके नाम मेरठ साउथ, परतापुर, रिठानी, शताब्दी नगर (संजय वन), ब्रह्मपुरी, मेरठ सेंट्रल, भैसाली, बेगमपुल, एमईएस कॉलोनी, दौरली, मेरठ नॉर्थ, मोदीपुरम और मोदीपुरम डिपो हैं।

इनमें से मेरठ साउथ, शताब्दी नगर, बेगमपुल और मोदीपुरम स्टेशनों पर नमो भारत व मेरठ मेट्रो दोनों सेवाएं उपलब्ध होंगी। मेरठ सेंट्रल, भैसाली और बेगमपुल अंडरग्राउंड स्टेशन होंगे जबकि शेष स्टेशन एलिवेटेड होंगे।

एनसीआरटीसी के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पुनीत वत्स ने बताया कि मेरठ मेट्रो के सभी स्टेशन आकार ले चुके हैं। इनका सिविल निर्माण कार्य लगभग पूरा हो गया है। इनमें से परतापुर और रिठानी मेट्रो स्टेशनों पर तो ओएचई का कार्य भी पूर्ण हो गया है। वहां फिनिशिंग कार्य किया जा रहा है।

शताब्दीनगर स्टेशन तक पीएसडी लगाए जा चुके हैं और लाइटिंग की व्यवस्था भी हो गई है। अंडरग्राउंड सेक्शन के मेरठ सेंट्रल, भैसाली और बेगमपुल स्टेशन अपने आकार में आ चुके हैं। इनकी फिनिशिंग का कार्य भी गति से प्रगति कर रहा है। एक माह में मेट्रो संचालन की उम्मीद है।