मुजफ्फरनगर। जिले के गन्ना किसान गेहूं बुवाई के लिए खेत खाली कर रहे हैं। चीनी मिलों से कम पर्ची आने के कारण कोल्हुओं पर औने पौने दामों में गन्ना बेचना पड़ रहा है। कोल्हुओं पर किसानों को 240 से लेकर 290 रुपये क्विंटल तक गन्ना देना पड़ रहा है। सरकारी रेट 350 माने तो किसान को प्रति बीघा पांच से दस हजार रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है।
तितावी क्षेत्र के गांवों में कोल्हुओं पर गन्ने का रेट 240 से 260 तक चल रहा है। जसोई के किसान विजय पाल ने बताया कि उनके यहां 240 रुपये क्विंटल ही मिल पा रहा है। रतनपुरी क्षेत्र में गन्ने का मूल्य 280 से 290 तक चल रहा है। कोल्हू ठेकेदार जयभगवान का कहना है कि मंडी के गुड़ के भाव भी कम ही मिल पा रहे है। 2700 से 2800 रुपये क्विंटल ही गुड़ बिक पा रहा है।
किसान मनवीर का कहना है कि मिल के रेट के मुकाबले किसान को कोल्हू पर गन्ना डालकर सीधे नुकसान उठाना पड़ रहा है। गेहूं के लिए खेत खाली करना किसान की मजबूरी है। जिले के अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में कोल्हुओं पर गन्ने का अलग-अलग रेट है। 240 से 290 तक ही किसान को मिल पा रहा है। मिलो के मुकाबले कोल्हू पर गन्ना देने से किसान को प्रति बीघा पांच से दस हजार रुपये का नुकसान हो रहा है। भोपा के किसान योगेश का कहना है कि गन्ना 240 से 270 तक भाव मिल रहा है।
जिला गन्ना अधिकारी आरडी द्विवेदी ने बताया कि हमारे जिले में लगभग 14 करोड़ क्विंटल गन्ना पैदा होता है। दस करोड़ क्विंटल चीनी मिलों में जाता है और बाकी कोल्हुओं और रस में जाता है। चीनी मिल प्रतिदिन लगभग छह लाख क्विंटल गन्ने की पेराई करती है। जिले की चीनी मिले अब तक एक करोड़ क्विंटल गन्ने की पेराई कर चुकी हैं।
जिले में प्रति वर्ष लगभग 80 हजार हेक्टेयर जमीन में गेहूं की फसल होती है। जिला कृषि अधिकारी जसवीर सिंह तेवतिया ने बताया कि धान की फसल मात्र दस हजार हेक्टेयर में होती है। बाकी 70 हजार हेक्टेयर जमीन गन्ने से खाली होती है। गन्ना किसान यहां दिसंबर के अंत तक गेहूं की बुवाई करता है।