मुजफ्फरनगर। अपर आयुक्त चकबंदी अनुराग पटेल की सख्ती के बाद सीओ चकबंदी धर्म देव विभाग की टीम के साथ पुरबालियान गांव पहुंचे। उन्होंने किसानों से चक सीमांकन और कब्जा परिवर्तन पर बात की। सहारनपुर मंडल की 13 टीमें सोमवार से विशेष अभियान चलाकर प्रकरणों का निस्तारण करेंगी।

शनिवार को पुरबालियान गांव पहुंची चकबंदी विभाग की टीम ने ग्रामीणों के साथ खेतों और गांव में खुली बैठक की। सीओ चकबंदी ने सीमांकन और कब्जे की वर्तमान स्थिति के विषय में जाना। उन्होंने बताया कि अधिकारियों ने चकबंदी की प्रक्रिया 15 मई तक पूरी करने के निर्देश दिए हैं। सहारनपुर की छह और मुजफ्फरनगर की सात टीमें मिलकर कब्जा परिवर्तन और चक सीमांकन की प्रक्रिया पूरा कराएगी। सोमवार को किसानों से अपने-अपने खेतों में रहने का आह्वान भी किया गया। उधर, भाकियू टिकैत के प्रदेश उपाध्यक्ष नीरज पहलवान के नेतृत्व में किसानों ने चकबंदी अधिकारियों से मिलकर समस्या रखी। किसानों का कहना था कि समस्याओं का स्थाई निस्तारण होना चाहिए। लंबी प्रक्रिया से ग्रामीणों के सामने आर्थिक समस्या भी खड़ी हो गई है।

चकबंदी प्रक्रिया पूरी करने के लिए गांव के रकबे को 52 सेक्टरों में बांटा गया है। शनिवार को विभाग की टीम ने सेक्टर सात, 18, 20, 22 और 29 में चक सीमांकन की स्थिति का जायजा लिया। किसान नवीन ने बताया कि हमारे खेत सेक्टर संख्या 39 में है। चार बार चकबंदी कानूनगो पैमाइश कर चुके हैं। यहां कभी जमीन घट जाती है और कभी बढ़ जाती है। हमें अपने खेतों का भी नहीं पता कि हमारे खेत कहां है।

किसान राजू का 40 सदस्यों का परिवार है। इनकी 60 बीघा भूमि चकबंदी विभाग ने पीएसी ले जाकर फसल बोने से एक वर्ष पहले रोक दी थी। एक वर्ष फसल नहीं बोने के कारण बच्चों की फीस नहीं दे पा रहे हैं। मां-बाप बीमार रहते हैं। परिवार के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। एक साल पहले किसान विजयपाल के खेत दूसरे किसानों को दे दिए गए थे, लेकिन इन्हें अब तक अपनी पूरी जमीन नहीं मिली। घर का खर्च चलाना मुश्किल हो रहा है। पति-पत्नी बुजुर्ग हो गए हैं। बीमार रहते हैं। दवाई के भी पैसे नहीं है।

किसान राजन की चौथी पीढ़ी पिछले 36 वर्ष से गांव में चकबंदी होते हुए देख रही है। बच्चों की फीस नहीं दे पा रहे हैं। घर का खर्च चलाना मुश्किल है। पिछले एक साल से भूमि पर कब्जा नहीं है।
लाखों खर्च कर नहीं मिली जमीन पुरबालियान निवासी किसान सुनील कुमार का कहना है कि गांव में 36 वर्ष से अधिक समय से चकबंदी चल रही है। लाखों रुपये खर्च हो चुके हैं, लेकिन अभी तक चकबंदी का कार्य पूर्ण नहीं हुआ है। खेत अलग-अलग जगह होने से काफी दिक्कत हो रही है।