मुजफ्फरनगर। थाना सिविल लाइन क्षेत्र के महमूदनगर में 19 साल पहले पुलिस पर हुए जानलेवा हमले में लचर पैरवी पर अदालत ने नाराजगी जताई है। अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट संख्या-13 के पीठासीन अधिकारी शक्ति सिंह ने गवाह दो दरोगाओं के गैर जमानती वारंट जारी किए, जबकि तत्कालीन एडीएम प्रशासन और एसपी सिटी के समन जारी किए गए हैं। इस प्रकरण की अगली सुनवाई 16 सितंबर को होगी।
सिविल लाइन क्षेत्र के महमूदनगर में 14 फरवरी 2003 की सुबह पुलिस पर जानलेवा हमला किया गया था। हमले में तत्कालीन पुलिस अधीक्षक नगर अरुण गुप्ता और सीओ दिनेश कुमार सिंह घायल हो गए थे। पुलिस ने अब्बास, इस्लाम, नजमू समेत अन्य लोगों को नामजद और अज्ञात में मुकदमा दर्ज किया। अदालत में चार्जशीट दाखिल की गई। प्रकरण की सुनवाई अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट संख्या-13 के पीठासीन अधिकारी शक्ति सिंह की कोर्ट में चल रही है। प्रकरण की पैरवी सीबीसीआईडी कर रही है। पिछले दस साल में गवाही की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी है।
शुक्रवार को गवाह नहीं पहुंचे, जिस पर अदालत ने नाराजगी जताई है। अदालत ने पुलिस महानिदेशक, अपर पुलिस महानिदेशक और सीबीसीआईडी को पत्र लिखने के आदेश दिए। प्रकरण के साक्षी उपनिरीक्षक आरडी सिंह और डीसी मिश्रा गैर जमानती वारंट जारी किए गए। तत्कालीन अपर जिलाधिकारी प्रशासन चंद्रपाल सिंह और एसपी सिटी अरुण गुप्ता को समन जारी किए गए हैं।
सिविल लाइन क्षेत्र के महमूदनगर में 14 फरवरी 2003 की सुबह दो पक्षों के झगड़े के बाद एक पक्ष के मकान में आग लगा दी गई थी। पुलिस मौके पर पहुंची। भीड़ ने एक राय होकर पुलिस पर जानलेवा हमला कर दिया। तत्कालीन एसएसपी, सीडीओ, एडीएम प्रशासन, एसपी सिटी मौके पर पहुंचे थे। सीबीसीआईडी ने इस मामले की जांच की थी। 2009 से सीबीसीआईडी की लचर पैरवी के चलते अभी तक साक्ष्य की प्रक्रिया भी पूरी नहीं हो सकी है।