मुजफ्फरनगर। तीन कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे आंदोलन को मजबूती देने के लिए देशभर के किसान पांच सितंबर यानि रविवार को मुजफ्फरनगर के जीआईसी मैदान में जुटेंगे। संयुक्त किसान मोर्चा की इस महापंचायत पर सरकार से लेकर विपक्षी दलों तक की नजर है। खास बात यह भी है कि महापंचायत के मंच पर पहली बार एक साथ दिखाई देगा। वहीं भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत और राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत भी पहली बार एकसाथ मंच पर नजर आएंगे। 

महापंचायत में देशभर के 300 से ज्यादा सक्रिय संगठन शामिल होंगे, जिनमें करीब 60 किसान संगठन होंगे और अन्य कर्मचारी, मजदूर, छात्र, शिक्षक, रिटायर्ड अधिकारी, सामाजिक, महिला आदि संगठन शामिल रहेंगे। किसानों के 40 संगठन अग्रणी भूमिका में रहेंगे, जबकि 20 संगठन पूरा सहयोग करेंगे।   संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्यों के अनुसार पंजाब व हरियाणा के किसान संगठनों के नेताओं ने अपने साथ हजारों की संख्या में किसानों को लेकर आने का लक्ष्य तय किया है। यूपी के बाहर से आने वाले किसान संगठनों के नेता व किसानों ने आज शाम से ही मुजफ्फरनगर में डेरा डाल लिया है। मोर्चा के सदस्यों को लगता है कि इस महापंचायत से कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन को नई दिशा मिलेगी।

इस महापंचायत एक खास बात यह भी होगी कि अपने बड़े भाई और भाकियू अध्यक्ष चौ. नरेश टिकैत के साथ भी किसान आंदोलन के दौरान राकेश टिकैत पहली बार मंच साझा करेंगे। पूरे देश में घूम रहे भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत किसान आंदोलन शुरू होने के बाद अपने गृह जनपद मुजफ्फरनगर की सीमा में नहीं गए हैं। राकेश टिकैत ने बताया कि उन्होंने बिल वापसी नहीं तो घर वापसी नहीं,  का प्रण ले रखा है। इसलिए वह आंदोलन शुरू होने के बाद आज तक मुजफ्फरनगर जनपद की सीमा में नहीं गए। वह रविवार को मुजफ्फरनगर में बुलाई गई महापंचायत में जरूर पहुंचेंगे, लेकिन अपने घर नहीं जाएंगे।

बड़ौत देशखाप के चौधरी सुरेंद्र सिंह ने कहा कि किसान बिरादरी के स्वाभिमान का सवाल है। किसानों को एकजुट होकर आगे बढ़ना होगा। किसान मोर्चा का फैसला मान्य होगा। वहीं, देशवाल खाप के चौधरी शरणवीर सिंह ने कहा कि आंदोलन किसान के सम्मान की लड़ाई बन गया है। किसान हितों के लिए सबको एकजुट होकर संघर्ष करना होगा। किसान ही अगर परेशान होगा तो कोई कौम खुश नहीं रह सकती। कालखंडे खाप के चौधरी संजय सिंह ने कहा कि किसान बेहद लाचार है। खेती करना महंगा हो गया है। डीजल के दाम बढ़ गए हैं। किसान की आय बढ़ानी है तो फसलों का रेट बढ़ाना होगा।

नरेश टिकैत ने कहा कि किसान हक की लड़ाई लड़ रहे हैं। सरकार ने ही संवाद का रास्ता छोड़ दिया है। आंदोलन लंबा चलेगा और किसानों को बलिदान देना पड़ेगा। एकजुटता से ही जीत मिल सकती है। किसान नहीं समझे तो खेती छिन जाएगी और एक दिन ऐसा भी आएगा, जब चूल्हों पर भी टैक्स लगेगा। महापंचायत में मोर्चा रणनीति की घोषणा करेगा।

उन्होंने कहा कि यह धर्मयुद्ध की महापंचायत है। युवा पीढ़ी को उसकी मिट्टी से जोड़ने का काम किया जाएगा। मुद्दे सिर्फ किसानों के ही नहीं है, आम आदमी के भी उठेंगे। किसान-मजदूरों के हितों की रक्षा के लिए मुजफ्फरनगर की यह महापंचायत मील का पत्थर साबित होगी। कहा कि पीएम मोदी ने मेरठ में खुद ही 450 रुपये के भाव का वादा किसानों से किया था। अपने इसी वादे को सरकार पूरा कर दें। इसके बाद आय दोगुनी करने की बात कही। फसलों पर लागत बढ़ गई, जिससे किसानों की आय घट गई है। बकाया भुगतान नहीं मिल रहा है। अब भी अगर किसान नहीं संभले तो हालात मुश्किल होंगे। नरेश टिकैत ने कहा कि महापंचायत की सभी तैयारियां हो चुकी हैं और उसमें संयुक्त किसान मोर्चा ही फैसलों का एलान करेगा।

किसान महापंचायत को लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों की पुलिस अलर्ट मोड पर रहेगी। सूत्रों के मुताबिक खुफिया विभाग ने शासन को भेजी अपनी रिपोर्ट में वर्ष 2013 की महापंचायत को जोड़ा है। जिला प्रशासन ने रिपोर्ट में कहा है कि महापंचायत से घर वापस जाते समय ही घटनाएं हुई थी। सूत्रों के अनुसार खुफिया विभाग की रिपोर्ट को शासन गंभीरता से ले रहा है।

शासन ने पश्चिम के जिलों को पंचायत को लेकर अलर्ट कर दिया है। पश्चिमी यूपी के जिलों के आने और जाते समय किसानों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। एडीएम प्रशासन अमित सिंह ने बताया कि जिले में भी सभी मुख्यमार्गों पर पुलिस बल की व्यवस्था रहेगी। कोई अप्रिय घटना न हो इस पर पुलिस और प्रशासन की सीधी नजर रहेगी। शांति के साथ महापंचायत सम्पन्न हो जाए, प्रशासन का यही प्रयास रहेगा।